जानकारी के अनुसार, शिंदे खेमे द्वारा आज डिप्टी स्पीकर की ओर से जारी अयोग्यता नोटिस और अजय चौधरी को शिवसेना के विधायक दल का नेता बनाए जाने को चुनौती देते हुए दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जबकि बागियों ने सुप्रीम कोर्ट से डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को हटाने के प्रस्ताव पर फैसला होने तक उनके खिलाफ शिवसेना द्वारा दायर अयोग्यता याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया है। याचिका में उन्होंने बागी विधायकों के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देने की भी मांग की है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की हॉलिडे बेंच इस मामले की सोमवार को सुनवाई करेगी। याचिका में तर्क दिया गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल (एसएसएलपी) के नेता के रूप में मान्यता देना अवैध है। देश की शीर्ष कोर्ट से शिंदे ने शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए अनुरोध किया कि जब तक डिप्टी स्पीकर को हटाने से संबंधित मुद्दे पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक अयोग्यता नोटिस पर कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए।
बता दें कि बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को अपने 37 विधायकों की लिस्ट सौंपी थी। इसके साथ ही दो प्रस्तावों को भी जोड़ा गया था, जिसमें कहा गया था कि शिंदे शिवसेना विधायक दल के प्रमुख बने रहेंगे और विधायक भरत गोगावले को नया मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है।
उधर, शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखकर कई बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। पार्टी और विधायकों के बीच दरारें तब और गहरी हो गई, जब शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे को चीफ व्हिप पद से पार्टी ने हटा दिया और उनकी जगह पर अजय चौधरी को नया चीफ व्हिप बनाया। शिंदे का कहना है कि उन्हें 40 विधायकों और एक दर्जन निर्दलीय और छोटे दलों का समर्थन हासिल है।