पीएम मोदी ने कहा, “मुझे विश्वास है कि ये मंदिर परिसर आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को भी समृद्ध करने का एक पुण्य केंद्र बनेगा। मैं इस पुनीत कार्य के लिए इस्कॉन के सभी संतों और सदस्यों को और महाराष्ट्र के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।”
इस दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यदि भारत को समझना है तो हमे पहले अध्यात्म को आत्मसात करना होता है। जो लोग दुनिया को केवल भौतिक दृष्टि से देखते हैं, उन्हें भारत भी अलग-अलग भाषा और प्रांतों का समूह नजर आता है। लेकिन जब आप इस सांस्कृतिक चेतना से अपनी-अपनी आत्मा को जोड़ते हैं, तब आपको भारत के विराट रूप के दर्शन होते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हमारा भारत एक असाधारण और अद्भूत भूमि है। भारत केवल भौगोलिक सीमा में बंधा भूमि का एक टुकड़ा मात्र नहीं है, भारत एक जीवंत धरती है, एक जीवंत संस्कृति और परंपरा है और इस संस्कृति की चेतना है यहां का अध्यात्म। इसलिए यदि भारत को समझना है तो हमें पहले अध्यात्म को आत्मसात करना होता है…”
गौरतलब हो कि इस्कॉन मंदिर खारघर का उद्घाटन समारोह 9 जनवरी को शुरू हुआ जो आज पीएम मोदी द्वारा मंदिर के शुभारंभ के साथ समाप्त हुआ। इस दौरान विशेष धार्मिक कार्यक्रम और यज्ञ अनुष्ठान किए गए।
पीएम मोदी ने आज मुख्य मंदिर का उद्घाटन करने के साथ ही सांस्कृतिक केंद्र और वैदिक संग्रहालय की आधारशिला भी रखी। इस्कॉन मंदिर भक्तों के लिए 16 जनवरी से दर्शन के लिए खुलेगा।
इस्कॉन मंदिर खारघर की खासियतें
मुंबई के पड़ोसी शहर नवी मुंबई के खारघर के सेक्टर 23 में स्थित इस भव्य मंदिर को बनने में कुल 12 साल लगे। यह सफेद और भूरे संगमरमर के विशेष पत्थरों से निर्मित एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण में अब तक 200 करोड़ रुपये की लागत आई है। मंदिर के मुख्य भाग को भगवान कृष्ण की 3डी पेंटिंग से सजाया गया है। वहीं, इसमें दशावतार मंदिर के दरवाजे चांदी के बने हैं। जिन पर गदा, शंख, चक्र और ध्वजा की सुनहरी छवियां उकेरी गई हैं।
इस्कॉन मंदिर खारघर 9 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। जिसमें से 5-6 एकड़ जमीन हरियाली से भरपूर है। इस मंदिर में तीन हजार भक्तों के एक साथ बैठने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा यहां आने वाले भक्तों के लिए रविवार को मुफ्त प्रसादम की व्यवस्था भी है।
इस्कॉन के दुनिया भर में लगभग 800 मंदिर हैं। लेकिन नवी मुंबई का यह मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां इस्कॉन के संस्थापक स्वामी श्रील प्रभुपाद का स्मारक है। इस मंदिर का निर्माण ग्लोरी ऑफ महाराष्ट्र प्रोजेक्ट के तहत किया गया है।