इस कक्षा में छात्रों की आयु को ध्यान में रखते हुए अगर विषय के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है, तो छात्रों के मन में शिक्षक के डर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं अगर कोई शिक्षक प्रशिक्षक चुनाव कार्य या घरेलू कारणों से स्कूल नहीं जा पाता है तो बच्चों को नुकसान हो सकता है। इसलिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने समझाया कि वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही थी। बता दें कि मुंबई नगर निगम के सभी स्कूलों में हर विषय के लिए अलग-अलग शिक्षक उपलब्ध कराने के लिए राकांपा की नगरसेविका डॉ. सईदा खान की ओर से प्रस्ताव की मांग की गई थी। उस सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए नगर शिक्षा विभाग ने बताया कि प्रत्येक विषय के लिए अलग-अलग शिक्षक उपलब्ध नहीं कराए जा सकते।
विदित हो कि घर-गृहस्ती के विभिन्न कारणों के साथ शिक्षक स्कूलों में नहीं जा सकते हैं। इसलिए अलग-अलग विषयों के लिए शिक्षक उपलब्ध होने पर अगर कोई शिक्षक स्कूल में अनुपस्थित रहता है, तो दूसरा शिक्षक उस विषय के घंटे के लिए विषय ले सकता है। इस तरह से छात्र का पूरा दिन बर्बाद होने पर रोक लगाई जा सकेगी। वहीं खान ने कहा कि विभिन्न विषयों के लिए शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलेगी। शिक्षा समिति की सदस्य सोनम जमसुतकर ने भी इस पर कड़ा विरोध जताया और कहा कि अगर निजी स्कूलों में हर विषय के लिए एक स्वतंत्र शिक्षक है तो नगरपालिका स्कूलों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। मूल रूप से महापालिका स्कूलों में दर्जा ऊंचा करके छात्रों के रिसाव को कम नहीं करना चाहता है। इसलिए शिक्षा के मानक को बढ़ाने के बजाय, प्रशासन विचार कर रहा है कि इसे नीचा कैसे दिखाया जाएगा, इस तरह का प्रशासन पर आरोप लगाया।