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चाचा पर भतीजा भारी! शरद पवार नहीं, अजित दादा NCP के असली बॉस, स्पीकर का फैसला

NCP Sharad Pawar Vs Ajit Pawar: वरिष्ठ नेता शरद पवार ने 1999 में एनसीपी पार्टी बनाई थी।

मुंबईFeb 15, 2024 / 05:20 pm

Dinesh Dubey

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अजित पवार और शरद पवार

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर ने आज (15 फरवरी) एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले (NCP MLA Disqualification) में अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। चुनाव आयोग की तरह ही स्पीकर ने संख्‍याबल के आधार पर अपना निर्णय सुनाया। नार्वेकर ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी पार्टी का दर्जा दिया है। इस वजह अजित पवार खेमे में जश्न का माहौल है। वहीं, 83 वर्षीय शरद पवार को बड़ा झटका लगा है।
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि अजित पवार खेमे में पार्टी के 53 में से 41 विधायक है। इसलिए अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी माना जाएगा। पार्टी में कोई फूट नहीं थी और मतभेद थे। दोनों खेमों के सभी विधायक पात्र है। एनसीपी का कोई विधायक अयोग्य नहीं है।
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सभी विधायक पात्र- स्पीकर

स्पीकर नार्वेकर ने एनसीपी के दोनों गुटों- शरद पवार और अजित पवार द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर कई महीनों तक सुनवाई के बाद आज फैसला सुनाया। नार्वेकर ने अजित पवार गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की शरद पवार गुट की मांग को खारिज कर दिया है। इसलिए अजित पवार गुट के सभी विधायक पात्र हो गए हैं। दूसरी ओर, शरद पवार गुट के विधायक भी अयोग्य नहीं हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि नार्वेकर ने एनसीपी विधायक मामले का फैसला भी शिवसेना के फैसले की तरह ही सुनाया है।

‘अध्यक्ष कौन? यह मैं नहीं तय करूंगा’

राहुल नार्वेकर ने यह भी कहा कि यह निर्णय पार्टी के संविधान, नेतृत्व संरचना और विधायी ताकत को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि उन्होंने एनसीपी के अध्यक्ष पद को लेकर कहा कि वह यह तय नहीं करेंगे कि पार्टी मुखिया कौन होगा।

अजित गुट ही असली NCP- चुनाव आयोग

कुछ दिन पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने अजित पवार को असली एनसीपी का दर्जा दिया। साथ ही एनसीपी का घड़ी चुनाव चिह्न भी अजित दादा गुट को सौंपा था। इसके बाद शरद पवार के खेमे को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार नाम दिया गया। इसलिए अब शरद पवार के सामने चुनौती खड़ी हो गई है कि वह अपनी पार्टी को नए नाम और निशान के साथ नए सिरे से खड़ा करें।
गौरतलब हो कि वरिष्ठ नेता शरद पवार ने 1999 में एनसीपी पार्टी बनाई थी। एनसीपी पिछले साल जुलाई में विभाजित हो गई थी, जब अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा वरिष्ठ पवार के खिलाफ बगावत कर दिया था। इसके बाद दोनों पक्षों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा किया।

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