शीर्ष कोर्ट ने नए आदेश के मुताबिक स्पीकर राहुल नार्वेकर एनसीपी विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर 15 फरवरी तक अपना फैसला सुना सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने आज नार्वेकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से उनके समक्ष लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर 31 जनवरी तक अंतिम आदेश पारित करने को कहा था।
अजित पवार के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ एनसीपी के शरद पवार गुट ने याचिका दायर की है और अजित दादा के साथ गए पार्टी विधायकों को जल्द से जल्द अयोग्य ठहराने की मांग की है। शरद पवार गुट ने इन विधायकों पर दल बदल कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता जल्द से जल्द रद्द करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर की है।
मालूम हो कि पिछले साल 30 अक्टूबर को शिवसेना और एनसीपी के अयोग्यता मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को फटकार लगाई थी और क्रमशः 31 दिसंबर और 31 जनवरी तक की डेडलाइन तय की थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि मामले को अगले चुनाव तक लटका नहीं सकते है। अगर स्पीकर निर्णय नहीं कर सकते है तो कोर्ट करेगी।
हालाँकि, शिवसेना मामले की सुनवाई समय पर पूरी नहीं होने की बात कहते हुए दिसंबर में नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद कोर्ट ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के लिए 10 जनवरी तक का वक्त दिया था।
मालूम हो कि कि वरिष्ठ नेता शरद पवार ने 1999 में एनसीपी पार्टी बनायीं और तब से 2014 तक एनसीपी महाराष्ट्र की सत्ता में थी। फिर पांच साल के बाद 2019 में महाविकास आघाडी (एमवीए) के जरिये एनसीपी राज्य सरकार का हिस्सा बनी। लेकिन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार जून 2022 में गिर गयी। क्योंकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत हुई और पार्टी दो धड़ों में बंट गयी। इसके बाद एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। इस सियासी उथलपुथल के एक साल बाद जुलाई 2023 में एनसीपी भी विभाजित हो गई, जब पार्टी के दिग्गज नेता अजित पवार और पार्टी के 8 अन्य विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार अभी शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम है और उनके खेमे में एनसीपी के अधिकांश विधायक है।