इस महीने की 9 तारीख को महिला के भाई ने उसे बताया कि उसे अपनी एसयूवी के लिए फास्टटैग रिचार्ज करना होगा। इसके बाद महिला ने रिचार्ज के लिए ऑनलाइन सर्च किया। इस दौरान उसे एक कस्टमर केयर नंबर मिला। लेकिन ये नंबर एक जालसाज का था। महिला द्वारा फोन करने पर शख्स ने उसकी मदद करने की बात कही।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने महिला को फास्टैग रिचार्ज करने के लिए उसके मोबाइल पर एक लिंक शेयर किया था। लिंक पर क्लिक करते ही ‘ग्राहक सहायता’ नामक एक ऐप महिला के फोन पर अपने आप डाउनलोड हो गया। इसके बाद आरोपियों ने महिला को फोन पर अपने बैंकिंग एप में लॉग इन करने की सलाह दी। ऐसा करते ही महिला को एसएमएस मिला जिसमें लिखा था प्रिय ग्राहक, फास्टटैग रिचार्ज सफल। महिला ने लगा कि उसने फास्टैग को रिचार्ज करा दिया है। थोड़ी देर बार उसने देखा उसके फोन पर डेबिट लेनदेन के मैसेज आने शुरू हो गए। इस दौरान उनके खाते से अलग-अलग किश्तों में करीब 6.99 लाख रुपये निकाले गए थे।
इसके बाद महिला साइबर पुलिस स्टेशन पुहंची। जहां पुलिस अधिकारियों ने संबंधित बैंक को ईमेल भेजे और उसके 2.45 लाख रुपये के धोखाधड़ी वाले पैसे को फ्रीज करवा दिया। महिला ने को पता चला कि ठगों द्वारा उसके अकाउंट में चार भुगतानकर्ता भी जोड़े गए थे, उससे पूरी तरह से 4.54 लाख रुपये ठगे गए। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।