गौर हो कि उच्च न्यायालय ने मुंबई के लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स और ओशिवारा में करीब 8,000 फ्लैट और दुकानदारों को लेकर महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 55 वर्ष पुराने मामले को फिर से खोलने को हरी झंडी दी गई थी। इस केस में राज्य सरकार ने बीएमसी को एक एडिशनल कलेक्टर को 1965 के आदेश जारी करने के संबंध में एक पुनरीक्षण अर्जी दायर करने की इजाजत दी थी, जिसके पास जमीन पर अधिकार रखने वाले शख्स के पक्ष में 723 एकड़ के भूखंड का अधिकार था।
वहीं बीएमसी ने इस केस में साल में साल 2019 में 1965 के आदेश में संशोधन की मांग की थी, क्योंकि 65 एकड़ भूखंड का उपयोग सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए किया गया था। साथ ही जमीन के मालिक ने मुआवजे की मांग की थी। राज्य सरकार को लिखे पत्र में उसने 1965 के आदेश को संशोधित करने की इजाजत मांगते हुए दावा किया था कि उसे भूमि अधिग्रहण के लिए मालिकों को मुआवजे के रूप में एक बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ेगा।
इस मांग के बाद राज्य सरकार ने आदेश में संशोधन की इजाजत को हरी झंडी दे दी थी। लेकिन अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के लोखंडवाला और ओशिवारा में रहने वाले निवासियों को राहत दी है। अदालत ने 55 साल पुराने मामले में संशोधन की अनुमति देने वाले सरकारी आदेश को रद्द किया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाउसिंग सोसाइटियों द्वारा उठाई गई शिकायतों को स्वीकार कर 29 अगस्त को राज्य सरकार की अनुमति और बीएमसी के 1965 के आदेश में संशोधन के अनुरोध को खारिज कर दिया।