10 रुपए की मदद लेकर शुरू की सेवा वे बताती हैं, एक दिन मैं सब्जी लेने जा रही थी। तभी सामने की बिल्डिंग से एक रोती हुई महिला निकली। बताया कि वह झाड़ू-पोछा करती है, मां अस्पताल मेंं भर्ती है, देने के लिए उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं है। अब मैं आत्महत्या ही अंतिम रास्ता है। भारती उसे अपने घर लाईं मां के इलाज को पैसे दिए। तब से यह सिलसिला आज भी कायम है। 10 रुपए की मदद से शुरू कार्य आज हजारों लोगों की मदद कर रहा है। भारती कहती है कि उन्हें सेवा की आदत पड़ गई है… इसमें जो आनंद है वह और कहां?
रोज कराती हैं 300 मरीजों को नाश्ता कच्छी जैन महाजन फाउंडेशन की मदद से वे रोज सायन अस्पताल में आने वाले 300 मरीजों को नाश्ता करातीं हैं। वे 25 टीबी मरीजों के परिवार के लिए हर माह राशन का इंतजाम करती हैं। अब तक 28 गरीब लड़कियों का विवाह करा चुकी हैं। मरीजों के बेहतर इलाज के लिए भारती ने लगभग तीन करोड़ रुपए के यंत्र अस्पतालों को दान दिलाए हैं।
लड़कियों के लिए सिलाई मशीन फिलहाल वे आटगांव से सटे पांच गांवों में लड़कियों के लिए सिलाई मशीन के इंतजाम में जुटी हैं। तीन गांवों में पांच-पांच मशीन लगवा चुकी हैं, जहां गांव की लड़कियां सिलाई सीखती हैं। दो और गांवों में सिलाई मशीन लगाने पर वे वे काम कर रही हैं।
ससुराल में भी मिला सेवा का संस्कार भारती बताती हैं, मेरी मां विधवा महिलाओं की सेवा करती थीं। हम बच्चे भी मां के साथ सेवा कार्य में जुटे रहते थे। शादी के बाद जब मैं ससुराल आई तो यहां मेरे ससुर वृद्धाश्रम के लिए कार्य करते थे। मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे मायके और ससुराल दोनों स्थानों पर सेवा का संस्कार मिला।