विदित हो कि शुरुआत में केवल 7 लाख और फिर 9 लाख मिल श्रमिकों को घर प्रदान किए गए थे। उनमें से कई ने दलालों को हाथ में 14-15 लाख में अपना घर बेच दिया। इससे सबसे ज्यादा फायदा दलालों को पहुंचा है। अब म्हाडा इस बात पर विचार कर रही है कि लॉटरी के विजेताओं द्वारा बेचे गए मकानों को जब्त किया जाए या घर बेचने वालों से 2 लाख रुपये की वसूली की जाए। क्या किसी गृहस्वामी को अनुचित व्यवहार न करने पर दंडित किया जा सकता है? इसके विचार के लिए एक प्रस्ताव प्राधिकरण को भेजा गया है। म्हाडा मुंबई बोर्ड की अध्यक्ष मधु चव्हाण ने कहा कि प्राधिकरण की अगली बैठक में फैसला किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मिलों के बंद होने के बाद रोजगार के नुकसान के कारण लाखों मिल मजदूरों को मुंबई से बाहर जाने को विवश होना पड़ा था। अदालत के आदेश के बाद मिल मजदूरों को उन्हें मिलों में घर दिए गए। यह निर्धारित करने के लिए एक सर्वेक्षण आयोजित किया जाएगा कि तीन मिल श्रमिकों के कितने विजेता अब तक अपने घरों को दूसरों को बेच चुके हैं। चव्हाण ने कहा कि सर्वेक्षण के बाद मिल मजदूरों द्वारा बिकने वाले मकानों की संख्या का वास्तविक आंकड़ा पता चल सकेगा।
कई मिल कर्मचारियों के पास मुंबई में घर नहीं था और उन्होंने घर की मांग की। हालांकि कायदेनुसार घर न बेच पाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अगर आर्थिक तंगी के कारण मकान बेचे जा रहे हैं तो उन्हें कम से कम 5 साल तक नहीं बेचा जाना चाहिए। भविष्य में सख्त नियमों के चलते लॉटरी के जरिये निकलने वाले घरों को बेचा नहीं जा सके।
– मधु चव्हाण, अध्यक्ष, म्हाडा मुंबई बोर्ड