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मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे की ड्रोन से हुई जासूसी! स्पेशल स्क्वाड करेगी जांच

Manoj Jarange : मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को 13 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है।

मुंबईJul 04, 2024 / 05:03 pm

Dinesh Dubey

Manoj Jarange Drone Spying : मराठा आरक्षण के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटील की ड्रोन से कथित जासूसी का मुद्दा महाराष्ट्र विधानसभा में भी उठा। जिसके बाद राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच स्पेशल स्क्वाड से कराने का ऐलान किया।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री शंभूराज देसाई ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे मनोज जरांगे के ड्रोन से कथित जासूसी के आरोपों की जांच के लिए विशेष दल गठित किया जाएगा। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर को बताया कि मराठा कार्यकर्ता जरांगे को प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा दी है।
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इससे पहले विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार की ओर से मुद्दा उठाए जाने के बाद स्पीकर ने सरकार को मनोज जरांगे को सुरक्षा देने का आदेश दिया था। जिसके बाद देसाई ने बताया कि राज्य सरकार जालना जिला पुलिस से इस मुद्दे की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देगी।
पुलिस की टीम पहले ही जरांगे के अंतरवाली सराटी गांव का दौरा कर चुकी है लेकिन कोई ड्रोन नहीं मिला है। जिला पुलिस ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि, एक और दल फिर से मौके पर जाएगा और जरांगे की ड्रोन से जासूसी हुई है या नहीं इसकी पड़ताल करेगा।
मालूम हो कि मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने 13 जून को अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म की थी। उन्होंने राज्य सरकार के आश्वासन के बाद छठवें दिन अनशन तोड़ा था। तब उन्होंने मांग के मुताबिक मराठा आरक्षण लागू करने के लिए एक महीने का अल्टीमेटम भी दिया था। कहा जा रहा है कि जरांगे अभी नया विरोध प्रदर्शन शुरू करने की तैयारी कर रहे है।

14 जुलाई से कुछ नहीं सुनेंगे…

पिछले महीने मनोज जरांगे ने कहा था, हमने सरकार को पांच महीने का समय दिया था, जिसमें से 2 महीने आचार संहिता में चले गए। वाशी में सरकार ने हमसे मराठा आरक्षण लागू करने का वादा किया था, लेकिन 5 महीने में सरकार ने कुछ नहीं किया। वैसे ही अगर सरकार एक महीने के अंदर हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो चुनाव लड़ा जाएगा। हम 1 महीना देने को तैयार हैं, उसके बाद मराठा कुछ नहीं सुनेंगे।
मनोज जरांगे ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर मांगें नहीं मानी गई तो आगामी विधानसभा चुनाव में मराठा समाज अपने प्रत्याशी उतारेगा। जरांगे ने यह भी कहा था कि वह 14 जुलाई से सरकार की एक नहीं सुनेंगे।

26 फरवरी से मराठा आरक्षण लागू

मालूम हो कि महाराष्ट्र विधानमंडल ने 20 फरवरी को एक-दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया। बाद में राज्यपाल रमेश बैस के हस्ताक्षर के बाद राज्य में मराठा आरक्षण 26 फरवरी से लागू हो गया।

क्या है मांग?

लेकिन मराठा आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत पूरे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर अड़े हुए हैं। जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, जिससे वे आरक्षण के दायरे में आ सकें। साथ ही कुनबी मराठों के सगे सोयरे यानी ‘रक्त संबंधियों’ को भी आरक्षण का लाभ देने की शर्त रखी है।
जरांगे ने साफ कहा है कि सगे सोयरे को ओबीसी कोटे के तहत कुनबी के तौर पर ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। कुनबी एक कृषि समूह है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है। वहीँ, सगे सोयरे को मराठी में परिवार के रिलेटिव के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण अधिनियम लागू किया था जिसमें मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान था। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे हरी झंडी दे दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया था।

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