महाराष्ट्र सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार शाम जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव पहुंचा, जहां मनोज जरांगे अनशन पर बैठे है। इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायाधीश एमजी गायकवाड़ और पूर्व न्यायाधीश सुनील शुक्रे ने मनोज जरांगे से चर्चा की। इस दौरान शिंदे सरकार के चार मंत्री- उदय सामंत, धनंजय मुंडे, संदिपान भुमरे, अतुल सावे भी मौजूद थे।
दोनों न्यायाधीशों ने मनोज जरांगे को मराठा आरक्षण व कुनबी प्रमाणपत्र से जुड़े कानूनी पहलुओं के बारे में समझाया। पूर्व जस्टिस ने मनोज जरांगे को बताया कि जल्दबाजी में लिए गए फैसले कोर्ट में टिकते नहीं है, इसलिए सरकार को समय दिए जाने की आवश्यकता है। जरांगे अपनी मांग पर डटे रहे और कहा कि पूरे मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारा संघर्ष सिर्फ मराठवाडा क्षेत्र के मराठों के लिए नहीं है बल्कि पूरे महाराष्ट्र के सभी मराठों को आरक्षण दिलाने के लिए हैं। राज्य सरकार के मंत्रियों के आश्वासन के बाद जरांगे समय देने के लिए मान गए।
पूर्व जजों और राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के बाद मनोज जरांगे ने कहा कि वह राज्य सरकार को समय देने को तैयार हैं। लेकिन इस बार मराठा आरक्षण मिलना ही चाहिए। इसके लिए मनोज जरांगे ने राज्य सरकार को 2 जनवरी 2024 तक की डेडलाइन दी है। साथ ही कहा कि श्रृंखलाबद्ध भूख हड़ताल जारी रहेगी।
मनोज जरांगे को यह भी बताया गया कि मराठा समुदाय के पिछड़ेपन का निर्धारण करने के लिए एक नया राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग स्थापित किया जाएगा। मराठा आरक्षण के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा एक नई रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जिन लोगों के पास कुनबी रिकॉर्ड है, उनके रक्त संबंधियों को भी प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। जबकि जरांगे ने मांग कि की मराठा समुदाय के सर्वेक्षण के लिए एक से अधिक संगठनों को नियुक्त किया जाना चाहिए। मराठा आंदोलन में हुए उपद्रव के लिए दर्ज केस भी राज्य सरकार वापस लेने को तैयार है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तेज होते मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच राज्य की स्थिति पर चर्चा के लिए बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। लेकिन कोई समाधान नहीं निकला था। लेकिन आज प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के बाद बात बन गयी।