जीएसटी परिषद ने पूर्व-पैक और पूर्व-लेबल वाले खाद्यान्न, दूध, शहद और कई अन्य कृषि उत्पादों पर 5 प्रतिशत जीएसटी का प्रस्ताव दिया है। केसीसीआई के अध्यक्ष संजय शेटे ने कहा कि पहली बार जरूरी सामान को जीएसटी के दायरे में लाया जा रहा है जिससे कारोबार और भी चौपट हो जाएगा।
संजय शेटे ने आगे कहा कि कीमतें बढ़ेंगी, बिक्री घटेगी और छंटनी अधिक होगी। इससे कृषि क्षेत्र को भी बड़ी मात्रा में नुकसान होगा। हम चाहते हैं कि इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द वापस लिया जाए। अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो हम सड़कों पर उतरेंगे और इसका विरोध करेंगे। हमें जनता का समर्थन मिलेगा क्योंकि वे सबसे पहले आवश्यक वस्तुओं पर कर लगाने का खामियाजा भुगतेंगे।
संजय शेटे ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म छोटे व्यापारियों के कारोबार को प्रभावित कर रहे हैं। ई-कॉमर्स विनियमित नहीं है बल्कि हमें सख्त नियमों से निपटना होगा। इसलिए, यदि आवश्यक सामान, जो व्यवसाय का एक बड़ा हिस्सा हैं, को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो हमें दोहरी मार पड़ेगी। व्यापारियों ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव उन बड़े कॉरपोरेट घरानों को लाभान्वित करना है, जिन्होंने अपनी खुदरा दुकानें और खाद्य व्यवसाय श्रृंखला शुरू की है। व्यापारियों ने कहा कि वे पहले से ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से पीड़ित हैं।