शनिवार को पालक मंत्रियों की सूची घोषित होने के 24 घंटे बाद ही रविवार को रायगढ़ और नासिक के पालक मंत्रियों की नियक्ति को रोक दिया गया। अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री और गिरीश महाजन को नासिक का संरक्षक मंत्री बनाया गया था। लेकिन शिवसेना नेताओं के भारी विरोध को देखते हुए प्रभारी मंत्रियों की घोषणा के एक दिन बाद ही दोनों ही जिलों के लिए नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई। बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के फोन के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह फैसला किया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने बीती रात सबसे पहला फोन आशीष कुलकर्णी को किया था। कुलकर्णी बीजेपी और शिवसेना के बीच कोऑर्डिनेटर की तरह काम करते हैं। महाराष्ट्र के बीजेपी प्रमुख बावनकुले को महायुति में शामिल तीनों दलों ने संरक्षक मंत्री पद के लिए नामों का चयन करने का पूरा अधिकार दिया था।
क्यों नाराज हैं एकनाथ शिंदे?
रायगढ़ जिले में शिवसेना के तीन विधायक हैं, इसलिए रायगढ़ के संरक्षक मंत्री का पद शिवसेना चाहती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दूसरी ओर मुख्यमंत्री फडणवीस ने गढ़चिरौली के पालक मंत्री का पद अपने पास रखा है। जब शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री थे, तो वे भी गढ़चिरौली की जिम्मेदारी चाहते थे। हालाँकि, तब भी उन्हें गढ़चिरौली का पालक मंत्री पद नहीं मिल पाया था।
रायगढ़ का पालक मंत्री महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे को बनाया गया है। अदिति तटकरे एनसीपी (अजित पवार) के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सांसद सुनील तटकरे की बेटी हैं। जबकि नासिक के पालक मंत्री का पद बीजेपी नेता गिरीश महाजन को मिला। दोनों ही जगहों पर शिवसेना शिंदे गुट ने दावा किया था, रायगढ़ जिले के पालक मंत्री पद के लिए भरत गोगवले और नासिक के लिए दादा भुसे जोर लगा रहे थे। शिंदे जब सीएम थे तो दादा भुसे नासिक के पालक मंत्री थे।
इस बीच, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अचानक अपने दरे गांव के लिए रवाना हो गए। हालांकि बताया जा रहा है कि वह अपने गांव निजी कारणों से गए हैं और चार दिन वहां रहेंगे। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि शिंदे पालक मंत्री के पदों के बंटवारे को लेकर नाखुश हैं। इसलिए बावनकुले बीजेपी नेता गिरीश महाजन के साथ शिंदे से मिलने के लिए हेलीकॉप्टर से उनके गांव गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अभी दावोस के दौरे पर हैं।