राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शरद पवार के बयान का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ नया विकल्प सुझाया है। इससे महाराष्ट्र (महाविकास आघाडी में) और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकता पर फर्क नहीं पड़ेगा। राउत ने कहा कि वरिष्ठ नेता पवार ने जेपीसी जांच की मांग का विरोध नहीं किया है।
उद्धव गुट ने क्या कहा?
मुंबई में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा, अडानी मामले पर भले ही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) या एनसीपी (NCP) की अपनी-अपनी अलग राय हो लेकिन इससे विपक्ष की एकजुटता में कोई दरार नहीं आएगी।
कांग्रेस हुई नाखुश!
वहीँ, एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बयान पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने असहमति जताई है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, “ये उनका (शरद पवार) व्यक्तिगत मत हो सकता है। लेकिन अब जनता पूछ रही है कि प्रधानमंत्री अडानी मामले से क्यों डर रहे हैं। अगर पीएम कहते हैं कि कुछ भी छिपाया नहीं जा रहा है तो वे (बीजेपी) इससे क्यों डर रहे हैं। कोयला घोटाले के मामले में भी कोर्ट की कमेटी बैठाई गई थी लेकिन विपक्ष के कहने पर जेपीसी का गठन किया गया था। अडानी मुद्दे पर भी जेपीसी (JPC) होनी ही चाहिए।”
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बयान से महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) भी नाखुश हो गए है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह उनकी (शरद पवार) निजी राय है। मुझे नहीं लगता कि उनके इस बयान से 2024 के चुनाव में विपक्ष की एकता पर कोई फर्क पड़ेगा। लेकिन मैं इतना ही कहूंगा कि अगर विपक्ष एकजुट होकर किसी मुद्दे पर फैसला लेता है तो सभी विपक्षी दलों और उनके नेताओं को उस पर एकजुटता दिखानी चाहिए।”
शरद पवार ने क्या कहा था?
शनिवार को शरद पवार ने कहा कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में देश की शीर्ष कोर्ट की एक समिति ज्यादा सही होगी। पवार ने पत्रकारों से कहा कि अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जो समिति की रिपोर्ट को प्रभावित कर सकता है।
पवार ने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं… जेपीसी के बजाय, मेरा विचार है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी।’’ इस दौरान उन्होंने अमेरिका स्थित ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट पर भी टिपण्णी की. पवार ने कहा, ‘‘एक विदेशी कंपनी देश में स्थिति का जायजा लेती है। हमें यह तय करना चाहिए कि इस पर कितना ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके बजाय सुप्रीम कोर्ट की एक समिति अधिक प्रभावी होगी।’
अडाणी समूह का समर्थन करते हुए शरद पवार ने कहा, ‘‘इस तरह के बयान पहले भी अन्य लोगों ने दिए हैं और कुछ दिनों तक संसद में हंगामा भी हुआ है, लेकिन इस बार इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो मुद्दे रखे गए, किसने ये मुद्दे रखे, जिन लोगों ने बयान दिए उनके बारे में हमने कभी नहीं सुना कि उनकी क्या पृष्ठभूमि है। जब वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिससे पूरे देश में हंगामा होता है, तो इसकी कीमत देश की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है, इन चीजों की हम अनदेखी नहीं कर सकते. ऐसा लगता है कि इसे निशाना बनाने के मकसद से किया गया।’’
उन्होंने कहा, एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है। मालूम हो कि हिंडनबर्ग ने अरबपति गौतम अडाणी की कंपनियों के शेयरों में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।