शराब की बिक्री से होने वाले आय को देखते हुए यह भी सामने आया है कि राज्य और केंद्र सरकार शराब की बिक्री को बढ़ावा दे रही है। जिसकी वजह से पिछले तीन सालों में महाराष्ट्र में शराबियों की संख्या दोगुनी हो गई है और अधिकांश शराबी महिलाएं धुले और गढ़चिरौली जिले में हैं। यह चौंकाने वाली जानकारी हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ रिपोर्ट से सामने आई है।
बता दें कि महिलाओं में सबसे ज्यादा शराब पीने के मामले में धूला के बाद गढ़चिरौली दूसरे और नंदुरबार तीसरे नंबर पर हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्धा और गढ़चिरौली जिलों में शराबबंदी के बावजूद वहां नशे की दर सबसे ज्यादा है। इस मामले में समाजसेवी गीतांजलि कोली ने कहा कि हम गांव-गांव शराबबंदी के लिए काम कर रहे हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में हम कई जगहों पर इस अभियान को लेकर मुहीम चला रहे है।
महाराष्ट्र में शराबबंदी के लिए पहला शराबबंदी आंदोलन धुले जिले से शुरू किया गया है। धुले जिले में युवाओं की शराब पीने की लत बढ़ गई है। इस प्रतिबंध के चलते जिले के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी शराब की मांग महाराष्ट्र दारूबंदी महिला/युवा मोर्चा की तत्काल मांग है। जिले में पिछले छह साल से जनजागरूकता अभियान चल रहा है। युवाओं को नशे से मुक्ति दिलाने के लिए महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आंदोलन शुरू किया है।
वहीं, शहरी क्षेत्र की महिलाओं या कॉलेज की लड़कियों या आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं भी शराब का सेवन कर रही है। गीतांजलि कोली ने कहा कि अगर समय रहते नशे से मुक्ति के लिए कदम नहीं उठाए गए और धुले जिले में शराब पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो भविष्य में जिले में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर भी बहुत विकट स्थिति पैदा हो जाएगी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, यह धुले जिले की महिलाओं के लिए गंभीर चर्चा का विषय है। धुले कलेक्टर से मुलाकात कर इस मामले पर गंभीरता से चर्चा करने की जरूरत है।