Maharashtra News: जिसे ट्रांसजेंडर होने पर अस्वीकार किया, उसी ने बदल दी गांव की तस्वीर
महाराष्ट्र के जलगांव जिले कि अंजलि पाटिल ने अपने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी। अंजलि पाटिल जलगांव जिले की भदली बुद्रुक ग्राम पंचायत की पहली ऐसी सरपंच बनीं जो ट्रांसजेंडर हैं। लेकिन ये मुकाम हासिल कर पाना इतना भी आसान नहीं था।
महाराष्ट्र के जलगांव जिले कि अंजलि पाटिल ने अपने गांव की तस्वीर बदल कर रख दी। अंजलि पाटिल जलगांव जिले की भदली बुद्रुक ग्राम पंचायत की पहली ऐसी सरपंच बनीं जो ट्रांसजेंडर हैं। पिछले 40 साल से एक ही दर्द झेल रही अंजलि पाटिल ने बताया कि मैंने चुनाव जीता, कामयाबी हासिल की लेकिन आज भी लोगों की निगाहों में कोई बदलाव नजर नहीं आया है। आज भी लोग अलग नजरों से ही देखते हैं। अंजलि पाटिल ने बताया कि कैसे एक साल में उन्होंने अपने गांव की काया पलट कर रख दी।
जलगांव जिले की अंजलि पाटिल भदली बुद्रुक ग्राम पंचायत की पहली ऐसी सरपंच बनीं जो ट्रांसजेंडर हैं। लेकिन ये मुकाम हासिल करने इतना भी आसान नहीं था। अंजलि पाटिल ने बताया कि जब उन्होंने आवेदन भरा था तब तहसील ऑफिस ने उनका नामांकन इसलिए रिजेक्ट कर दिया था क्योंकि वो थर्ड जेंडर से आती हैं। इसके बाद भी अंजलि ने हार नहीं मानीं और इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, नामांकन खत्म होने के ठीक एक दिन पहले कोर्ट ने उन्हें महिला वर्ग में आवेदन करने की इजाजत दे दी थी।
अंजलि पाटिल ने आगे बताया कि कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्होंने ने बड़े जोर-शोर के साथ प्रचार किया, घर घर जाकर लोगों से वोट मांगे, ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े लोग भी उनके साथ खड़े हो गए और उनके समर्थन में लोगों से वोट मांगा। ग्राम पंचायत चुनाव में 560 वोट मिले और उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। उस शाम जब अंजलि के मोबाइल पर लगातार फोन आने लगे। इस दौरान अंजलि को एक खास कॉल का इंतज़ार था। वो सोच रही थी कि काश एक बार मेरे घरवाले मुझे फोन करें। लेकिन घर वालों में से किसी ने भी अंजलि को फोन नहीं किया। ये बताते बताते अंजलि भावुक हो जाती हैं।
अब गांव ही मेरा प्यार है: ट्रांसजेंडर समाज का होने के बाद भी वो उस दुनिया में नहीं गई, अंजलि ने कहा कि ट्रांसजेंडर समाज के कई लोगों ने उन्हें अपने साथ लेना चाहा लेकिन वो नहीं गई। अंजलि को एक बार प्यार हुआ था, वो शख्स उनकी बहुत केयर करता था, प्यार करता था, लेकिन पिछले साल उनकी दुर्घटना में मौत हो गई और वो एक बार फिर अकेली पड़ गई। अब अंजलि पाटिल का मकसद केवल आगे बढ़ना और अपने गांव की प्रगति करना ही है।
अंजलि ने अपने गांव के लिए कुछ करने के बारे में सोचा। यहीं से उसने राजनीति की दुनिया में कदम रखा और लोगों से व्यवहार बनाना शुरू कर दिया। रात के दो बजे भी अंजलि अपने लोगों के साथ हमेशा खड़ी रहती थी और इन्हीं लोगों ने अंजलि की जीत दिलाई। अब तक 1.5 साल हो गए हैं और अंजलि ने अपने गांव की तस्वीर बदल दी है। अंजलि ने अपने गांव में सड़कें बनवाई, साफ पानी के लिए हर घर नल की सुविधा शुरू की। फ़िलहाल वो ट्रांसजेंडर समाज के लोगों को एड्स और एचआईवी पॉजिटिव के बारे में लोगों जागरूक करने के लिए काम कर रही हैं।
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