वहीं, एम्स और सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ही स्वाइन फ्लू के मरीज भर्ती किए जाते हैं। फिलहाल जो आंकड़े हैं, उनके मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती हुए 108 मरीजों में से 33 की मौत हो चुकी है।
बता दें कि स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों के ये आंकड़े प्रशासन की पोल खोल रहे है। मेयो सहित महानगरपालिका हॉस्पिटल में भी स्वाइन फ्लू के इलाज की व्यवस्था नहीं है। जिसकी वजह से स्वाइन फ्लू के सारे मरीज एम्स में जाते हैं या फिर सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती होते है। अभी जो आंकड़े सामने आए हैं वे सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के हैं।
नागपुर में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए 24 बेड वाले वॉर्ड नंबर 13 को रखा गया है। फ़िलहालयहां 12 मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से तीन मरीज वेंटिलेटर पर है और चार मरीज ऑक्सीजन पर हैं। इस साल 1 जुलाई से 5 सितंबर तक इस वार्ड में 108 मरीजों का इलाज हुआ। इस दौरान 33 मरीजों ने दम तोड़ दिया। नागपुर जिले में कोरोना से ज्यादा स्वाइन फ्लू से मौते हो रही है। 1 जुलाई से 31 अगस्त तक कोरोना से 18 लोगों की मौत हुई है। जबकि सिर्फ एक हॉस्पिटल के आंकड़े के मुताबिक 1 जुलाई से 5 सितंबर के बीच 33 लोग स्वाइन फ्लू से मर गए है।
नागपुर में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या लगभग 386 है। इनमें से 103 मरीज सरकारी और अलग-अलग निजी हॉस्पिटलों में भर्ती हुए हैं। इनमें से 10 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है। साल 2009 से ही स्वाइन फ्लू के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। लेकिन इन 13 सालों में महानगरपालिका ने अपने एक भी हॉस्पिटल में स्वाइन फ्लू के मरीजों को इलाज की व्यवस्था नहीं कर पाए है।