Maharashtra News: रोजाना 8 से अधिक किसानों ने की आत्महत्या, क्या है राज्य सरकार की योजना?
महाराष्ट्र में इन दिनों अक्सर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कृषि कर्ज माफी योजना के बावजूद महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या के मामले रूक नहीं रहे हैं। इस साल जनवरी से अगस्त तक 1875 किसान आत्महत्या कर चुके थे। इस मामले में अमरावती क्षेत्र की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इसके बाद औरंगाबाद क्षेत्र लिस्ट में सबसे ऊपर है।
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राज्य सरकार और प्रशासन के तमाम दावों और वादों के बावजूद महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या के मामलों में कमी नहीं आ रही हैं। आंकड़े खुद इस भयावह परिस्थिति की तस्वीर पेश कर रहे हैं। महाराष्ट्र सहायता एवं पुनर्वास विभाग द्वारा जमा किए गए डाटा के मुताबिक, राज्य में इस साल जनवरी से अगस्त के बीच करीब 1,875 किसान अपनी जान गवां चुके थे। यानी हर महीने 234 से अधिक किसानों ने आत्महत्या किया। इन आंकड़ों को देखें तो राज्य में हर दिन तकरीबन 8 किसानों ने इस अवधि में जान दी हैं। किसान आत्महत्या के मामले में अमरावती क्षेत्र इस लिस्ट में सबसे ऊपर है, जबकि दूसरे स्थान पर औरंगाबाद रीजन है।
जनवरी से अगस्त के बीच अमरावती में 725 किसानों ने सुसाइड किया। वहीं, औरंगाबाद में 661 किसानों ने जान दी। इस तरह केवल इन दोनों जिलों में ही करीब 1,386 किसानों ने आत्महत्या किया। इन आठ महीने की अवधि में आत्महत्या करने वाले तकरीबन 75 प्रतिशत किसान इन दो रीजन से ही थे।
बता दें कि ऐसे में औरंगाबाद और अमरावती क्षेत्र में किसानों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। पिछले साल भी कमोबेश यही हालात थे। अमरावती और औरंगाबाद के बाद तीसरे और चौथे स्थान पर नाशिक और नागपुर का आता है। इन दोनों जिलों में 252 और 225 किसानों ने आत्महत्या किया हैं।
देखें कोंकण का हाल: पिछले साल पुणे में जहां 11 किसानों ने सुसाइड किया था, वहीं, इस साल जनवरी से अगस्त तक की अवधि में 12 किसानों ने आत्महत्या किया। कोंकण जिले में ऐसा एक भी मामला रिकॉर्ड नहीं किया गया। राज्य के सीएम पद की कमान संभालने के बाद एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र को किसान आत्महत्या मुक्त प्रदेश बनाने की शपथ ली है। इसके लिए उन्होंने कुछ योजना भी तैयार की है। राज्य के कृषि डिपार्टमेंट ने एक मसौदा तैयार किया है, जिसके तहत राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारी एक दिन किसान के घर या उनके खेत में गुजारेंगे।
ये हैं आत्महत्या की वजह?: बता दें कि किसान हित के लिए काम करने वाले संगठन और कार्यकर्ता इसकी कई वजहें बताते हैं। मुख्य कारणों में सरकारी अमले का अभी तक भी सीधे किसानों के संपर्क में न आना, सिंचाई की अच्छी व्यवस्था का न होना, फसलों का सही दाम नहीं मिलना, मुआवजे का समय पर सही वितरण न होना और सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों के लिए ठोस योजना का अभाव।
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