किनवट आदिवासी इलाका है। यह औरंगाबाद से करीब 360 किमी दूर है। अधिकारी ने बताया कि सहायक कलेक्टर कीर्तिकिरण पुजार ने टीईपीएल से संपर्क किया और कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट ने उनके प्रस्ताव पर सहमति दी। इसके बाद 6 और 7 सितंबर को कैंप का आयोजन किया गया था।
बता दें कि अधिकारी ने आगे कहा कि हाल ही में 12वीं की परीक्षा पास होने वाली कम से कम 600 से अधिक महिलाओं ने इस अभियान में हिस्सा लिया था। इनमें से 410 महिलाओं को नौकरी मिल गई। चयनित महिलाएं पड़ोसी राज्य कर्नाटक के होसुर में टीईपीएल की प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में काम करेंगे। अधिकारी ने कहा कि उन्हें पहले बेंगलुरु में अपना ट्रैंनिंग पूरा करना होगा। आमतौर पर इन इलाकों में लड़कियों की शादी जल्दी कर दी जाती है। इस प्रथा को खत्म करने के लिए पुजार ने यह पहल की।
तलाइगुडापाड़ा गांव के रहने वाले राजाराम मडावी को अपनी बेटी की नौकरी पर गर्व हो रहा है। मडावी ने बताया कि हमारी पीढ़ी ने अभी तक किसी ने भी तहसील से बाहर कदम नहीं रखा है। लेकिन जिला प्रशासन की पहल के बाद मेरी बेटी को बेंगलुरू जाने का अवसर मिल रहा है और वह भी नौकरी के लिए।
हिमायतनगर के वाशी गांव की शीतल भिसे भी नौकरी पाकर बहुत खुश हैं। शीतल भिसे ने कहा कि मेरे जैसी महिलाएं अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करना चाहती हैं, लेकिन हमें ऐसा करने के लिए एक अवसर चाहिए। मुझे यह मौका एकीकृत विकास परियोजना और टीईपीएल के अधिकारियों की मदद से मिला है। मैं काम करते हुए आगे की पढ़ाई भी जारी रखूंगी। इस पहल के बारे में बोलते हुए पुजार ने कहा कि गवर्नमेंट जॉब में काम करते हुए हमें समाज को वापस देने का मौका मिलता है। मैंने टाटा ग्रुप से संपर्क करने का प्रयास किया और इसका रिजल्ट मिल गया।