जानकारी के मुताबिक, नासिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को लेकर बालासाहेब थोरात ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर नाराजगी जताई थी और पटोले की शिकायत की थी। नाना पटोले की हाईकमान से शिकायत करते हुए बालासाहेब थोराट ने कहा, पार्टी में हमारे साथ अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आपसी फैसले लिए जा रहे हैं। ऐसे में पटोले के साथ काम करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा, “नाना पटोले ने एमएलसी चुनाव में मुझे बदनाम करने की कोशिश की। तो मैं उनके साथ कैसे काम कर सकता हूँ?”
बताया जाता है कि जिस दिन थोरात ने यह पत्र लिखा था उसी दिन पद से इस्तीफा भी दे दिया था। बताया जा रहा है कि नाना पटोले के काम करने के तरीके से विदर्भ के कई कांग्रेसी नेता भी नाराज है और उन्होंने भी इसकी शिकायत हाईकमान से की है। नाना पटोले पर आरोप है कि वह महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं को महत्व नहीं देते है।
नाना पटोले ने क्या कहा? बालासाहेब थोरात के इस्तीफे की खबर के बीच प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, थोरात हमसे बात नहीं करते। क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। लेकिन आज उनका जन्मदिन है और मैं उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूँ। हमें उनका इस्तीफा नहीं मिला है। वे हमारे नेता हैं हम खुद उनसे बात करेंगे। 15 जनवरी को पार्टी की कार्यकारिणी बैठक है उसमें भी इस पर बात होगी, साथ ही राहुल गांधी यात्रा व बाकी विषयों पर भी चर्चा होगी।
इस वजह से घमासान मचा!
बता दें कि महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव (MLC) में सत्यजीत तांबे मामले को लेकर यह विवाद शुरू हुआ है। दरअसल नासिक स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से नवनिर्वाचित एमएलसी सत्यजीत तांबे कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के पूर्व अध्यक्ष रहे बालासाहेब थोरात के रिश्तेदार है। जीत के बाद निर्दलीय एमएलसी तांबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले पर निशाना साधा और उनपर कई आरोप लगाये। उधर, कांग्रेस के एक तबके का मानना है कि एमएलसी चुनाव में थोरात की भूमिका कांग्रेस के अनुकूल नहीं थी। कांग्रेस के एक समूह ने आरोप लगाया है कि उन्होंने चुनावों में निष्क्रिय रहकर तांबे की मदद की है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के कई अलग-अलग गुट हैं। अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोरात वर्तमान में राज्य के दो सबसे बड़े गुट हैं। जबकि नाना पटोले अपना अस्तित्व मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।