पशुचिकित्सक डॉ. बालासाहेब (Dr Balasaheb Kaudinya) ने बताया, 27 सितंबर को किसान रामहरि भोयर (Ramhari Bhoyar) अपने खेत से ताजा सोयाबीन (Soy Beans) तोड़कर लेकर घर आए थे। भोयर के पास एक छोटा सा खेत है और वें एक भैंस के मालिक है।
घर की महिलाओं ने सोयाबीन की फलियाँ छीलने के बाद छिलकों को एक थाली में इकट्ठा किया। इसके बाद भोयर की पत्नी गीताबाई (Geetabai) ने उस थाली को अपने कमरे में रख दिया। शाम को गीताबाई ने अपनी भारी भरकम सोने की मंगलसूत्र उतारकर गलती से उसी थाली पर रख दी।
अगले दिन 28 सितंबर को घर के एक सदस्य ने भैंस को सोयाबीन का छिलका खिला दिया। बाद में दोपहर को परिवार को एहसास हुआ कि सोने का मंगलसूत्र गायब है। इसके बाद काफी खोजबीन की गयी, लेकिन मंगलसूत्र नहीं मिला। भोयर ने कहा, “शुरुआत में हमें लगा कि मंगलसूत्र चोरी हो गयी है, लेकिन बाद में पता चला कि भैंस ने सोयाबीन के छिलकों के साथ सोने की मंगलसूत्र भी खा ली है। इसके बाद हम भैंस को लेकर स्थानीय पशु चिकित्सक के पास गए।“
रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्थानीय पशु चिकित्सक ने भोयर को अपनी भैंस वाशिम के अनुभवी पशुचिकित्सक (सर्जन) डॉ. बालासाहेब के पास ले जाने की सलाह दी। जब मेटल डिटेक्टर का उपयोग करके डॉ. बालासाहेब ने भैंस के पेट की जांच की तो अंदर कुछ धातु होने की पुष्टि हुई। जिसके बाद उनकी टीम ने धातु के सटीक स्थान की पुष्टि के लिए भैंस की सोनोग्राफी की। अंततः 2.5 लाख रुपये के सोने का मंगलसूत्र निकालने के लिए भैंस का ऑपरेशन किया गया।
डॉ. बालासाहेब ने बताया कि 29 सितंबर को भैंस की सफल सर्जरी की गयी। 2 घंटे ऑपरेशन चला, जिसमें 60-65 टांके आए है। ऑपरेशन के लिए उसी सर्जिकल तकनीक का उपयोग करके सोने की चेन को सफलतापूर्वक बरामद कर लिया गया, जिसका उपयोग शहरी क्षेत्रों में प्लास्टिक, धातु, सिक्के और अन्य खतरनाक वस्तुएं खाने वाली देसी गायों की सर्जरी करने के लिए किया जाता है।