मुंबई

लाउडस्पीकर धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, एक्शन लें मूकदर्शक न बने- बॉम्बे HC ने पुलिस को फटकारा

Bombay High Court on Mosque Loudspeaker : पहले भी मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ शिकायतें मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं करने के लिए हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकारा था।

मुंबईJan 24, 2025 / 09:24 am

Dinesh Dubey

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि प्रार्थना या धार्मिक प्रवचन के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग करना किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। शोर स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। यह सार्वजनिक हित में है कि ऐसी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ऐसी अनुमति देने से इनकार करने से किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं होता।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मुंबई पुलिस को ध्वनि प्रदूषण नियम को सख्ती से लागू करना और किसी भी धार्मिक स्थल द्वारा लाउडस्पीकर का उपयोग करके ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर रोक सुनिश्चित करे। एक लोकतांत्रिक राज्य में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि कोई व्यक्ति या समूह कानून की अवज्ञा करे और अधिकारी मूकदर्शक बने रहें। ध्वनि प्रदूषण नियम दिन में केवल 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल की अनुमति देते हैं।
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जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की बेंच ने दो रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में मस्जिदों और मदरसों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर कार्रवाई में पुलिस की उदासीनता की शिकायत की गई थी।

हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के बारे में शिकायत मिलने पर कार्रवाई के लिए गाइडलाइन की जारी- 

1. परिवादी की पहचान का दस्तावेज नहीं मांगे, उजागर भी नहीं करे।    

2. कानून उल्लंघनकर्ता को सावधान करें। 
3. नहीं मानने या दुबारा शिकायत मिलने पर ट्रस्टी व प्रबंधकों से जुर्माना वसूल कर चेतावनी दें।    

4. उसी धार्मिक स्थल के बारे में फिर से शिकायत पर लाउडस्पीकर जब्त करें, लाउडस्पीकर की अनुमति रद्द करें।

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