हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मुंबई पुलिस को ध्वनि प्रदूषण नियम को सख्ती से लागू करना और किसी भी धार्मिक स्थल द्वारा लाउडस्पीकर का उपयोग करके ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर रोक सुनिश्चित करे। एक लोकतांत्रिक राज्य में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि कोई व्यक्ति या समूह कानून की अवज्ञा करे और अधिकारी मूकदर्शक बने रहें। ध्वनि प्रदूषण नियम दिन में केवल 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल की अनुमति देते हैं।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की बेंच ने दो रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में मस्जिदों और मदरसों के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण फैलाने पर कार्रवाई में पुलिस की उदासीनता की शिकायत की गई थी।
हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के बारे में शिकायत मिलने पर कार्रवाई के लिए गाइडलाइन की जारी-
1. परिवादी की पहचान का दस्तावेज नहीं मांगे, उजागर भी नहीं करे।
2. कानून उल्लंघनकर्ता को सावधान करें।
3. नहीं मानने या दुबारा शिकायत मिलने पर ट्रस्टी व प्रबंधकों से जुर्माना वसूल कर चेतावनी दें।
4. उसी धार्मिक स्थल के बारे में फिर से शिकायत पर लाउडस्पीकर जब्त करें, लाउडस्पीकर की अनुमति रद्द करें।