उच्चाधिकारियों को दी। अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने तत्काल एफआइआर दर्ज कराने के भी आदेश दिए। इसके बाद प्रकरण को लेकर वर्ष 2016, 2017 और 2019 में लगातार कार्रवाई के लिए म्हाडा को रिमाइंडर पत्र भी भेजे । इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों ने तत्परता नहीं दिखाई और प्रकरण पर टालमटोल कर कार्रवार्इ करने से बचते रहे ।
इसी मामले में उच्च न्यायालय के अंदर कई याचिकाएं लंबित हैं। शेट्टी ने आरोप लगाया कि म्हाडा ने मूल भू-स्वामियों के मालिकाना हक के नाम पर फर्जी पावर अटॉर्नी बनाकर मुंबई उच्च न्यायालय को भी गुमराह किया। कोर्ट को गलत सूचनाएं
दीं और म्हाडा की कीमती भूमि को खुर्द-बुर्द होने दिया। इधर, विभाग के अधिकारियों से पत्रिका ने पूछा तो उन्होंने बताया कि इस आर्थिक अपराध मामले की सघन जांच जारी है। वहीं, आरटआइ एक्टिविस्ट शेट्टी ने बताया कि भ्रष्टाचार के इस बड़े कांड में म्हाडा के उच्च अधिकारी तक शामिल हैं और उन्हें बचाने का काम किया जा रहा है । तभी तो लंबे समय से म्हाडा प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाले बैठी है ।
यह गंभीर मामला है, जिसकी सघन जांच जरूरी है। संबंधित अधिकारियों को कागजात सौंपे गए हैं, क्योंकि उच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट आदेश दे रखे हैं। न्यायालय आदेश का पालन कर अधिकारियों को जांच कर हर तथ्य को सामने रखने आदेश भी दिए गए हैं।
– मधु चव्हाण, अध्यक्ष, मुंबई म्हाडा
हमारे संज्ञान में मामला नहीं है। यदि गंभीर प्रकरण की जांच हमें सौंपी जाती है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। वहीं, न्यायालय आदेश के अनुसार फर्जी कागजात से बनाए गए रिहायशी टॉवर पर भी कार्रवाई की जाएगी।
– भूषण देसाई, कार्यकारी अभियंता, म्हाडा मुंबई मंडल
मामले में जांचकर रिपोर्ट तैयार कर दी है। इस रिपोर्ट को म्हाडा उपाध्यक्ष मिलिंद म्हेस्कार को सौंप दिया गया है। विस्तारित रिपोर्ट सीइओ राधाकृष्णन बालासुब्रमणियन को भी सौंपी गई है। यह गंभीर मामला है और आगे की कार्रवाई म्हाडा करेगी।
– आरजी पाटील, डिप्टी इंजीनयर, विजिलेंस, म्हाडा