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ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने टर्मिनेशन को बताया सही

Chanda Kochhar: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई कि और कहा आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर की 2019 में बैंक से पूर्वप्रभावी टर्मिनेशन प्रथम दृष्टया वैध टर्मिनेशन है।

मुंबईNov 10, 2022 / 03:04 pm

Dinesh Dubey

ICICI Bank Chanda Kochhar Case

बॉम्बे हाईकोर्ट से चंदा कोचर को झटका

ICICI Bank Chanda Kochhar Termination Case: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व प्रमुख (CEO) चंदा कोचर (Chanda Kochhar) को बड़ा झटका देते हुए उनके टर्मिनेशन को ‘प्रथम दृष्टया’ सही बताया है। इसके साथ ही जस्टिस रियाज छागला (Riyaz Chagla) की एकल पीठ ने कहा कि मामले को लेकर आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ कोचर ‘बेदाग’ कोर्ट के पास नहीं आई थीं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई कि और कहा आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर की 2019 में बैंक से पूर्वप्रभावी टर्मिनेशन प्रथम दृष्टया वैध टर्मिनेशन है। इसके साथ ही कोर्ट ने बैंक के खिलाफ उनके मुकदमे से जुड़े अंतरिम आवेदन को भी खारिज कर दिया।
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अपने अंतरिम आदेश में कोर्ट ने कोचर को आईसीआईसीआई के 6,90,000 शेयरों से डील करने से भी रोक दिया है। कोचर ने इन शेयरों को 4 अक्टूबर से 11 दिसंबर 2018 के बीच स्टॉक विकल्पों के माध्यम से हासिल किए थे। कोर्ट ने उन्हें छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर कर शेयरों से जुड़ी डीलिंग के दौरान अपने सभी लेनदेन का खुलासा करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब हो कि आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने अपनी पूर्व सीईओ चंदा कोचर को साल 2019 में बर्खास्‍त कर दिया था। जांच समिति की रिपोर्ट में दोषी पाये जाने के बाद कोचर पर यह कार्यवाही हुई थी। उन्हें वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपये लोन देने के मामले में कोड ऑफ कंडक्‍ट का उल्‍लंघन करने का दोषी ठहराया गया है।
https://youtu.be/lkt7axhf3_c
रिटायर्ड जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा की समिति ने गहन जांच के बाद यह रिपोर्ट बनाई थी। ज्ञात हो कि चंदा कोचर ने अपने पति को गलत तरीके से लोन देने के कथित आरोप के बाद चार अक्टूबर 2018 को आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ और प्रबंध निदेशक पद को छोड़ दिया था।
उधर, चंदा कोचर ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उन्होंने पूरी मेहनत और निष्ठा के साथ 34 साल तक आईसीआईसीआई समूह की सेवा की और बैंक ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।

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