हाईकोर्ट में मामला
करोड़ों रुपए के घोटाले से जुड़ा यह मामला बांबे हाईकोर्ट के विचाराधीन है। राज्य के प्रधान सचिव ने भी प्रोजेक्ट की जांच का आदेश दिया है। मामले की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) कर रही है। जांच रिपोर्ट तैयार करने में ईओडब्लू की सुस्ती पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि म्हाडा को अरबों रुपए का नुकसान पहुंचाने वाला यह मामला ‘पत्रिका’ ने उजागर किया है।
ओशिवरा सर्वे नंबर 33/8 में म्हाडा का 9,500 वर्ग मीटर का भूखंड है। इस भूखंड पर मर्करी एंड मिलेनियम कोऑपरेटिव सोसायटी निर्माण कार्य कर रही हैं। मर्करी की ए विंग और मिलेनियम की बी विंग में कुल 208 आलीशान फ्लैट बनाए जा चुके हैं।
2004 में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह जमीन के मालिक जुबेर इब्राहिम घोलप को उनके हिस्से का भूखंड लौटाए। म्हाडा ने कलेक्टर को आदेश दिया कि सात बारा उतारा के हिसाब से 50 प्रतिशत जगह जमीन मालिकों को दी जाए और बाकी 50 प्रतिशत लोगों के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल की जाए। इसके बाद 2006 में भूखंड के कागजात पर वारिसों के नाम चढ़ गए।
इसके बाद जो गड़बड़झाला म्हाडा मुंबई मंडल के मुख्य अधिकारी ने किया, उसी का नतीजा यह घोटाला है। असली मालिक के नाम डीड जारी करने के बजाय अधिकारी ने मेराज क्रिस्टल डेवलपमेंट कंपनी के प्रोपराइटर शाहित आई.ए. खान के नाम कर दिया। 2017 में म्हाडा के कानूनी सलाहकार वाचासुंदर की सलाह पर शाहिद के नाम से त्रिपक्षीय के जरिए जमीन मालिक को बिना नोटिस दिए मर्करी सोसायटी के नाम पर एग्रीमेंट बना दिया गया। फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी के पेश कर 26 जून, 2018 को सात बारा उतारा पर शाहिद ने अपना नाम चढ़ावा लिया। इसका पता चलते ही जमीन मालिक के वारिसदार जुबेर इब्राहिम ने मुख्यमंत्री समेत इस मामले से संबंधित करीब 16 विभागों से शिकार की।