मुंबई जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने अपने आदेश में कहा कि फ्लिपकार्ट ने अतिरिक्त लाभ कमाने के लिए संबंधित ग्राहक का ऑर्डर रद्द कर दिया, जो बहुत गलत है। आयोग ने आदेश में कहा कि भले ही ग्राहक को पैसे रिफंड कर दिए गए, लेकिन इस तरह से आर्डर रद्द करने के कारण ग्राहक का मानसिक उत्पीड़न हुआ और उसकी भरपाई के लिए मुआवजा देना आवश्यक है।
क्या है मामला?
मुंबई के दादर निवासी ग्राहक ने 10 जुलाई 2022 को फ्लिपकार्ट से एक आईफोन (iPhone) ऑनलाइन ऑर्डर किया और क्रेडिट कार्ड से 39,628 रुपये का भुगतान किया। शिकायत के मुताबिक, उसके आईफोन की डिलीवरी 12 जुलाई 2022 को होनी थी। लेकिन छह दिन बाद ग्राहक को ई-कॉमर्स कंपनी से मैसेज मिला कि उसका ऑर्डर कैंसिल कर दिया गया है। जब उसने फ्लिपकार्ट से संपर्क किया तो उसे (ग्राहक) बताया गया कि कंपनी के डिलीवरी बॉय (Ekart) ने आईफोन डिलीवर करने के लिए कई प्रयास किए। लेकिन, ग्राहक उपलब्ध नहीं था और इसलिए ऑर्डर रद्द कर दिया गया।
हालांकि, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई, जिससे उसे मानसिक तौर पर परेशानी हुई। जबकि फ्लिपकार्ट ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखित जवाब दिया और दावा किया कि डिलीवरी बॉय ने प्रोडक्ट को प्राप्तकर्ता के पते तक पहुंचाने के कई प्रयास किए थे, लेकिन शिकायतकर्ता उपलब्ध नहीं था और इसलिए विक्रेता ने ऑर्डर रद्द कर दिया। इसके बाद संबंधित ग्राहक का पैसा रिफंड भी कर दिया गया. इसलिए यह विवाद केवल शिकायतकर्ता और विक्रेता के बीच का है, इसमें फ्लिपकार्ट के खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं बनता है।
फ्लिपकार्ट ने अपने लिखित जवाब में कहा कि शिकायतकर्ता ने गलती से उसे उत्पाद का विक्रेता मान लिया था। कंपनी ने कहा कि वह केवल एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम करती है, और उसके प्लेटफ़ॉर्म पर सभी उत्पाद स्वतंत्र तौर पर थर्ड पार्टी विक्रेताओं द्वारा बेचे और आपूर्ति किए जाते हैं।
हालाँकि, आयोग ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनी द्वारा ऑर्डर को “एकतरफा रद्द” कर दिया गया, वह भी तब जब शिकायतकर्ता लगातार उनके संपर्क में था। कंपनी ने उसे मामले का समाधान करने का आश्वासन भी दिया था। फ्लिपकार्ट ने ग्राहक तक उत्पाद पहुंचाने के कई प्रयास करने के दावे के संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किए है।
आयोग ने कहा कि फ्लिपकार्ट ने स्वीकार किया है कि उसने ग्राहक का ऑर्डर रद्द कर दिया और उसे नया ऑर्डर करने के लिए कहा। इससे शिकायतकर्ता को नुकसान हुआ क्योंकि उत्पाद की कीमत लगभग 7,000 रुपये बढ़ गई।
इसलिए आयोग ने फ्लिपकार्ट को शिकायतकर्ता को हुई परेशानियों और मानसिक उत्पीड़न के मुआवजे के तौर पर 10,000 रुपये और लागत के तौर पर 3,000 रुपये देने का आदेश दिया।