मुंबई

डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर भवन के निर्माण कार्य पर उठा सवाल

ठेकेदार से टक्केवारी नही मिलने पर काम बंद

मुंबईDec 23, 2019 / 06:48 pm

Nagmani Pandey

डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर भवन के निर्माण कार्य पर उठा सवाल


पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नवी मुंबई | एरोली में डॉ बाबासाहेब अंबेडकर भवन को लेकर नवी मुंबई महानगर पालिका में उस समय हंगामा मच गया जब पूर्व महापौर सुधाकर सोनवणे ने आरोप लगाते हुए यह कहा कि तकनीकी कारणों से काम नही बंद हुआ है बल्कि एक नेता के द्वारा भवन का निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार से एक प्रतिशत कमीशन की मांग की गई थी। कमीशन नही मिलने पर यह काम बंद करवा दिया गया है। इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, और दोषी पाए जाने पर संबंधित ब्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने का संकेत मनपा आयुक्त ने दी है।
वर्ष 2011 में डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर भवन का शुरू निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो पाया है। इस मुद्दे को लेकर शिवसेना नगरसेवक संजू वाडे ने महासभा में उठाया तो शहर अभियंता सुरेंद्र पाटिल संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। परिणामस्वरूप पूर्व महापौर सुधाकर सोनवणे प्रशासन और सत्तापक्ष पर टूट पड़े, और याद दिलाते हुए कहा कि डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर भवन के कामकाज की गुणवत्ता को लेकर पहले से ही जांच चल रही है। जबकि एक नेता स्मारक का काम करने वाले ठेकेदार से एक प्रतिशत कमीशन चाहता है। परंतु मनपा प्रशासन ने बिना वजह जांच के नाम पर काम को रोक दिया है। डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर के स्मारक में गलत ब्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। क्रोधित स्वर में सोनवणे ने महापौर जयवंत सुतार से कहा कि मुझे बोलने पर मजबूर मत करना, अन्यथा बोलना शुरू करूंगा तो बदन पर एक भी कपड़े नही बचेंगे।आंबेडकर स्मारक के मुद्दे पर सदस्यों द्वारा लगाए गए आरोप-प्रत्यारोपों का जवाब देते हुए आयुक्त अण्णासाहेब मिसाल ने स्पष्ट किया कि प्रशासन स्मारक के कार्य को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि सभागृह में कुछ सदस्यों द्वारा टक्केवारी का लगाए गए आरोप गंभीर है, इसलिए एक समिति का गठन किया जाएगा और इस मामले की पूरी जांच की जाएगी तथा दोषी पाए जाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.आंबेडकर भवन का काम पिछले 9 वर्षों से चल रहा है। भवन का निर्माणकार्य दो चरणों में किया जा रहा है। घर के पहले चरण का निर्माण वर्ष में पूरा हो गया है। शुरुआत में 15 से 18 करोड़ रुपए तक की लागत से यह परियोजना अब 45 करोड़ के आकड़े को छू लिया है। इस स्मारक के डिजाइन में दोष शुरू से ही पाए गए हैं। परियोजना के डिजाइन में लगातार बदलाव के कारण लागत में सालाना वृद्धि होती गई। इस स्मारक के गुंबद पर लगभग 19 करोड़ रुपए खर्च करने से मकराना पद्धति से मार्बल लगाने की प्रक्रिया से लागत में वृद्धि हुई। हालांकि गुंबद के डिजाइन में दोषों से मार्बल लगाना मुश्किल हो गया था। इसलिए गुंबद का किए गए कांक्रीटीकरण निष्कृष्ट दर्जे से किया गया है, इस तरह का आरोप लगने के बाद जांच समिति गठित की गई है।

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