हैरानी यह कि जमीन मालकिन मुनीरा प्लंबर को एक पाई भी नहीं मिली। जमीन हड़पने के लिए सॉलिड्स इनवेस्टमेंट्स प्रालि नामक कंपनी इस्तेमाल की गई। यह कंपनी मलिक परिवार की है। मुनीरा ने ईडी को बताया कि उन्होंने शाहवली को किराया वसूलने की जिम्मेदारी दी थी। भूखंड से अवैध निर्माण और कब्जा हटाने के लिए प्लंबर ने पटेल की मदद ली। इसके लिए पटेल को पांच लाख रुपए दिए थे। शाहवली खान के भाई रहमान ने ईडी को बताया कि मलिक के भाई असलम ने जबर्दस्ती भूखंड पर कब्जा कर लिया। रहमान ने 10 जनवरी, 1995 को मलिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। खान ने ईडी को बताया कि जमीन पर हसीना की भी नजर थी। मलिक और हसीना के बीच कई दौर की बातचीत हुई। कम से कम दो बैठकों में खान भी मौजूद था।
हसीना संभालती थी अवैध कारोबार
दाऊद के भागने के बाद मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में उसका अवैध कारोबार हसीना ही संभालती थी। पटेल उसका सुरक्षा गार्ड और ड्राइवर था। शाहवली भी दाऊद गिरोह से जुड़ा था। 1993 के मुंबई बम धमाकों में उसे सजा हुई है। औरंगाबाद जेल में वह आजीवन सजा काट रहा है। खान ने ईडी को बताया कि हसीना के कहने पर ही सलीम ने जमीन बेच दी। सूत्रों के अनुसार दाऊद के भाई कासकर और हसीना के बेटे ने भी मलिक का नाम लिया है।
जमीन बेचने के लिए नहीं कहा
मुनीरा प्लंबर ने ईडी को बताया कि उन्होंने भूखंड से अवैध कब्जा हटाने के लिए सलीम की मदद ली थी। इसके एवज में पांच लाख रुपए चुकाए थे। उन्होंने जमीन बेचने के लिए कभी नहीं कहा था। जब पता चला कि पटेल अंडरवल्र्ड से जुड़ा है, तो परिवार के हित में उन्होंने पुलिस से शिकायत नहीं की।