जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “अगर स्कूल सुरक्षित स्थान नहीं हैं… तो ‘शिक्षा के अधिकार’ के बारे में बात करने का क्या मतलब है?”
इस दौरान खंडपीठ ने पुलिस और राज्य को कई मामलों में फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि शिकायत मिलने के बावजूद स्कूल के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया। अदालत ने कहा, “यह किस तरह की स्थिति है… यह बेहद चौंकाने वाली बात है।”
अदालत ने पूछा, “क्या लड़कियों ने स्कूल अधिकारियों से शिकायत की?… क्या आपने कोई मामला दर्ज किया… पॉस्को में अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए स्कूल को भी पक्षकार बनाने का प्रावधान है।”
इस दौरान राज्य की ओर से पक्ष रख रहे महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने जवाब दिया, “एसआईटी का गठन हो गया है… अब यह किया जाएगा।” लेकिन खंडपीठ ने कहा, “लेकिन स्कूल के खिलाफ मामला अब तक दर्ज हो जाना चाहिए था… जब मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी तो उसी समय स्कूल अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए था।”
खंडपीठ ने कहा, “यह इतना गंभीर अपराध है। दो लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया… पुलिस इसे गंभीरता से कैसे नहीं ले सकती? हम जानना चाहते हैं कि स्कूली छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं। लड़कियों की सुरक्षा से बिल्कुल समझौता नहीं किया जा सकता है।”
गौरतलब हो कि स्कूल के सफाई कर्मचारी अक्षय शिंदे (24) ने कथित तौर पर दो बच्चियों का स्कूल के शौचालय में यौन उत्पीड़न किया। यह घटना 13 अगस्त को सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच हुई। पीड़ित परिवार ने 16 अगस्त को पुलिस को घटना की जानकारी दी थी। लेकिन पुलिस ने 12 घंटे बाद 16 अगस्त की रात करीब 9 बजे एफआईआर दर्ज की। आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया।
उधर, यह मामला सामने आने के बाद बदलापुर में मंगलवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पथराव भी किया। हालात को देखते हुए बुधवार को शहर में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गयीं। पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में 72 लोगों को गिरफ्तार किया है और 300 से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज की है।