जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा, भारत के उदारवादी रवैये का अनुचित लाभ न उठाएं। पीठ ने कहा, “आप पाकिस्तान या किसी खाड़ी देश में जा सकते हैं। भारत के उदार रवैये का दुरुपयोग न करें।”
वीजा खत्म होने के बाद भी याचिकाकर्ता खालिद गोमेई मोहम्मद हसन भारत में निर्धारित अवधि से ज्यादा समय से रह रहा है। इस पर पुणे पुलिस ने उसे भारत छोड़ने का नोटिस दिया था। इसके चलते जबरन निर्वासन से बचने के लिए खालिद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और और पुणे पुलिस के ‘भारत छोड़ो नोटिस’ को चुनौती दी।
10 साल से भारत में है हसन
हसन परिवार के साथ यमन गृहयुद्ध के चलते पिछले दस वर्षों से भारत में रह रहे हैं। इस दौरान दंपति को एक बेटी पैदा हुई। सबसे पहले हसन मार्च 2014 में स्टूडेंट वीजा पर भारत आया और उनकी पत्नी मेडिकल वीजा पर 2015 में भारत आईं। उनके वीज़ा क्रमशः फरवरी 2017 और सितंबर 2015 में समाप्त हो गए। लेकिन इसके बावजूद दोनों ने भारत नहीं छोड़ा। इस साल पुणे पुलिस ने उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस दिया। सुनवाई के दौरान हसन ने कम से कम तब तक उन्हें डीपोर्ट करने के खिलाफ सुरक्षा की अपील की जब तक कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के लिए वीजा नहीं मिल जाता। हसन की ओर से तर्क दिया गया कि अभी यमन लौटना अमानवीय होगा।
इस पर पुणे पुलिस की ओर से सुझाव दिया गया कि याचिकाकर्ता हसन शरणार्थी कार्डधारकों को स्वीकार करने वाले अन्य 129 देशों में से किसी एक में जा सकते है। गौरतलब है कि यमन में गंभीर मानवीय संकट के चलते 45 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।