scriptबॉम्बे HC ने 15 वर्षीय रेप पीड़िता को नहीं दी गर्भपात की इजाजत, कहा- जन्म के बाद बच्चे को गोद दे सकती है मां | Bombay High Court rejects abortion for minor rape victim said he can give child to an orphanage | Patrika News
मुंबई

बॉम्बे HC ने 15 वर्षीय रेप पीड़िता को नहीं दी गर्भपात की इजाजत, कहा- जन्म के बाद बच्चे को गोद दे सकती है मां

Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यदि बच्चा अच्छी तरह से विकसित होकर पूर्ण अवधि में जन्म लेता है तो उसे कोई विकृति नहीं होगी और किसी के द्वारा उसे गोद लेने की संभावना बढ़ जाएगी।

मुंबईJun 26, 2023 / 07:55 pm

Dinesh Dubey

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15 वर्षीय रेप पीड़िता को नहीं मिली गर्भपात की इजाजत, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Maharashtra Crime News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 वर्षीय एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। डॉक्टरों की राय के बाद हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने यह फैसला सुनाया है। दरअसल डॉक्टरों के पैनल ने कहा है कि नाबालिग के गर्भ में पल रहे 28 हफ्ते के भ्रूण को यदि अभी गिराया जाता है तो शिशु के जिंदा पैदा होने की संभावना है। जिसके कारण उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी।
जस्टिस आरवी घुगे (R V Ghuge) और जस्टिस वाईजी खोबरागड़े (Y G Khobragade) की बेंच ने 20 जून के अपने आदेश में कहा कि यदि कोई बच्चा जबरन प्रसव कराने के बाद भी जिंदा जन्म लेता है, तो बेहतर है कि वह बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था की अवधि पूरी होने के बाद प्रसव की अनुमति देगी।
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बॉम्बे हाईकोर्ट बलात्कार पीड़िता की मां द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बेटी के 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी गई थी। पीड़िता की मां ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी बेटी इस साल फरवरी में लापता हो गई थी और 3 महीने बाद पुलिस ने उसे राजस्थान में एक व्यक्ति के साथ पाया था। आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।
गर्भवती रेप पीड़िता की जांच करने वाले डॉक्टरों के पैनल ने कहा था कि अगर गर्भपात की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, तो भी बच्चा जीवित पैदा हो सकता है और उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी. इसके अलावा पीड़िता की जान को भी खतरा होगा।
हाईकोट ने कहा, जबरन मेडिकल तरीके से या प्राकृतिक प्रसव से यदि आज बच्चा जिंदा पैदा होगा तो हम बच्चे को 12 सप्ताह के बाद मेडिकल देखरेख में जन्म देने दे सकते हैं। यदि बाद में याचिकाकर्ता बच्चे को अनाथालय में देना चाहती है, तो उसे ऐसा करने की स्वतंत्रता होगी।
कोर्ट ने कहा कि यदि बच्चा अच्छी तरह से विकसित होकर पूर्ण अवधि में जन्म लेता है तो उसे कोई विकृति नहीं होगी और किसी के द्वारा उसे गोद लेने की संभावना बढ़ जाएगी। इसके बाद लड़की की मां ने कोर्ट से मांग की कि लड़की की डिलीवरी होने तक उसे किसी एनजीओ या अस्पताल में रखने की अनुमति दी जाए।
जिस पर अदालत ने कहा कि लड़की को या तो नासिक स्थित शेल्टर होम में रखा जा सकता है, जहां गर्भवती महिलाओं की देखभाल की जाती है या फिर औरंगाबाद स्थित महिलाओं के सरकारी शेल्टर होम में रखा जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद लड़की यह निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी कि उसे बच्चे को अपने पास रखना है या फिर बच्चे को गोद देना है।

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