मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही लक्ष्मण जगताप अपनी पुरानी जानलेवा बीमारी को मात देकर घर लौटे थे। उनकी हालत में भी सुधार हो रहा था। लेकिन दिवाली के बाद स्वास्थ्य कारणों से उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आखिरकार इलाज के दौरान आज उनकी मौत के साथ लड़ाई खत्म हो गई।
लक्ष्मण जगताप के परिवार के अनुसार, बीजेपी नेता को कैंसर था और लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। वह 59 वर्ष के थे। इससे पहले, पुणे की कस्बा सीट से बीजेपी विधायक मुक्ता तिलक का 22 दिसंबर को निधन हो गया था।
बीते साल जून में राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव के दौरान लक्ष्मण जगताप का एक वोट बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ था। वह गंभीर बीमार होने के बावजूद एंबुलेंस में मुंबई आए और मतदान के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। तब खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें धन्यवाद दिया था।
बीजेपी ने पुणे में खो दिया प्रभावी नेतृत्व-
लक्ष्मण जगताप ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पुणे के पिंपरी-चिंचवड नगर निगम से की थी। 1986 में उन्हें कांग्रेस नगरसेवक के रूप में चुना गया था। फिर वें शरद पवार की पार्टी एनसीपी की स्थापना के बाद 1999 में कांग्रेस से एनसीपी में शामिल हो गए। जगताप दो बार पिंपरी-चिंचवड के मेयर पद पर रहे और एक बार स्थायी समिति के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद वह 2004 में विधान परिषद के सदस्य बने। साल 2009 में उन्होंने एनसीपी को अलविदा कह निर्दलीय के रूप में इलाके में काम करना शुरू किया।
2014 में उन्होंने शेतकरी कामगार पार्टी (Shetkari Kamgar Paksh) से लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्हें शिवसेना के श्रीरंग बराने के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद लक्ष्मण जगताप बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और बाद में 2019 में भी वह पिंपरी-चिंचवड से विधायक चुने गए।