सालाना 35 हजार किलो शहद
महाबलेश्वर से आठ किमी दूर मंघार गांव के पास घने जंगल हैं। बारहों महीने पेड़ों-झाडिय़ों में फूल लगे रहते हैं। यहां के वातावरण मधुमक्खी पालन के अनुकूल है। स्थानीय लोग people पहले से ही प्राकृतिक तरीके से शहद हासिल करते हैं। महाराष्ट्र में हर साल 1.25 लाख किलो शहद उत्पादन होता है। इसमें 35 हजार किलो का योगदान मंघार और इसके आसपास के गांवों के लोग करते हैं। जंगल में जामुन, लीची, दालचीनी, मल्बरी, हिरडा आदि पौधे भी लगाए गए हैं।
स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग
शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है। गांव के 80 परिवारों को सब्सिडी पर बी-बॉक्स मुहैया कराए गए हैं। जल्दी ही यहां बी ब्रीडिंग सेंटर भी खुलेगा। सिन्हा ने बताया कि हम साबुन, शैंपू व तेल Oil बनाने के लिए गांव के लोगों को प्रशिक्षित करेंगे।
गांव के नाम ब्रांड
शहद की बिक्री हनी विलेज मांघर के नाम पर की जाएगी। यहां आने वाले पर्यटकों को नेचुरल हनी मिलेगी। इतना ही नहीं सैलानी मधुमक्खी पालन और शहद हासिल करने के तकनीक भी देख-समझ सकते हैं। पर्यटन विभाग केएक अधिकारी ने बताया कि हर साल 25 लाख सैलानी महाबलेश्वर आते हैं। इनमें से 10 प्रतिशत ने भी मांघर का रुख किया तो इस गांव की सूरत बदलते देर नहीं लगेगी। ग्राम टूरिज्म tourism योजना के तहत पर्यटकों की आवभगत के क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोजगार employment मिलेगा।