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अजित पवार ने बताई महाविकास आघाडी की वो गलती, जो बनी सत्ता से दूर होने की असली वजह!

Ajit Pawar on MVA: अजित पवार ने कहा, महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद से नाना पटोले के इस्तीफे के बाद एमवीए तुरंत एक्शन में आती तो शिवसेना में फूट के बाद 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता था।

मुंबईMay 12, 2023 / 04:59 pm

Dinesh Dubey

अजित पवार

Ajit Pawar on Disqualification of 16 MLA: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि यदि महाविकास आघाडी (MVA) ने सही समय पर फैसला लिया होता तो शिवसेना में विद्रोह के बाद उपजे हालत के परिणाम आज कुछ और ही होते। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता पवार ने कहा, महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद से नाना पटोले के इस्तीफे के बाद एमवीए तुरंत एक्शन में आती तो शिवसेना में फूट से मची उथल-पुथल के बाद 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता था।
एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार के गिरने के कारण महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के एक दिन बाद अजित पवार ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की।
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‘नाना पटोले ने नहीं की थी चर्चा’

पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की ठाकरे की मांग व्यर्थ है. क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा लोगों में बहुत फर्क है। दरअसल शिवसेना में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे ने अपने खेमे के विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिलाया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए।
अजित पवार ने कहा, सबसे पहली बात तत्कालीन स्पीकर नाना पटोले ने तब सीएम रहे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से चर्चा किए बिना ही इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद ही इसकी घोषणा की गई थी। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था।

पवार ने बताया कहां हुई चूक

उन्होंने आगे कहा कि फरवरी 2021 में कांग्रेस नेता पटोले के इस्तीफे के बाद एनसीपी, कांग्रेस और अविभाजित शिवसेना के महागठबंधन एमवीए को नए स्पीकर की नियुक्ति का मुद्दा उठाना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्य से एमवीए के रूप में हम ऐसा करने में नाकाम रहे। अगर विधानसभा अध्यक्ष होते तो शिंदे गुट के विद्रोह के कारण पैदा हुए अयोग्यता के मुद्दे को सुलझाया जा सकता था। लेकिन लंबे समय से विधानसभा के उपाध्यक्ष ही सदन की कार्यवाही देख रहे थे। एमवीए सरकार में अजित पवार उप-मुख्यमंत्री थे।
पवार ने कहा कि जब शिवसेना में विद्रोह के बाद नई सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने तुरंत स्पीकर के खाली पद को भर दिया। इस पद पर अभी राहुल नार्वेकर है। अगर वह पद पहले से ही भरा होता तो अध्यक्ष शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर देते।

‘शिंदे कभी इस्तीफा नहीं देंगे’

शीर्ष कोर्ट के फैसले के बाद सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से नैतिक आधार पर इस्तीफा मांगने की उद्धव ठाकरे की मांग पर पवार ने कहा, इससे कुछ फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा लोगों के बीच बहुत अंतर है। वे कभी इस्तीफा नहीं देंगे। वे सपने में भी इस्तीफा नहीं देंगे।’’
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपना निर्णय सुनाते हुए कहा था कि वह ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उद्धव ठाकरे ने पिछले साल जून महीने में फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही खुद पद से इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और स्पीकर राहुल नार्वेकर के कुछ फैसलों को गलत करार दिया है।

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