मरजावां की कहानी
फिल्म की कहानी रघु ( सिद्घार्थ मल्होत्रा ) की है। अन्ना (नासर) जैसे टैंकर माफिया किंग को रघु बचपन में गटर के पास मिला था। तब से लेकर जवान होने तक रघु अन्ना की छत्र-छाया में पला-बढ़ा और अपराध माफिया के तमाम काले कारनामों और खून-खराबे में अन्ना का राईट हैंड रहा। रघु अन्ना के हुक्म की तामील हर कीमत पर करता है, यही वजह है कि अन्ना उसे अपने बेटे से बढ़कर मानता है, मगर अन्ना का असली बेटा विष्णु ( रितेश देशमुख) रघु से नफरत करता है। शारीरिक तौर पर बौना होने के कारण उसे लगता है कि अन्ना का असली वारिस होने के बावजूद सम्मान रघु को दिया जाता है। पूरी बस्ती रघु को चाहती है, जिसमें बार डांसर आरजू (रकुल प्रीत) और रघु के तीन दोस्त भी शामिल हैं। उस वक्त रघु की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है, जब वह कश्मीर से आई गूंगी लड़की जोया ( तारा सुतारिया ) से मिलता है। संगीत प्रेमी तारा के साथ रघु अच्छाई के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है, मगर विष्णु कुछ ऐसे हालत पैदा कर देता है कि रघु को अपने प्यार जोया को अपने हाथों गोली मारनी पड़ती है। जोया के जाने के बाद रघु जिंदा लाश बन जाता है। वहां बस्ती पर विष्णु का जुल्म बढ़ता जाता है। क्या रघु विष्णु से अपने प्यार जोया की मौत का बदला लेगा? यह तो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।
पत्रिका व्यू
फिल्म की स्क्रिप्ट में दम नहीं
मूवी के गाने हैं शानदार
सिनेमेटोग्राफी पर और काम किया जा सकता था
सारे मसालों के बावजूद कुछ अधूरी सी लगी फिल्म
तारा और सिद्घार्थ की एक्टिंग बेहतरीन
विलेन के रोल में खूब जचे रितेश देशमुख
कुल मिलाकर इस फिल्म को पत्रिका एंटरटेंमेंट 5 में से 2.5 स्टार्स देता है। हालांकि दर्शकों फिल्म कितनी पसंद आती है, यह तो बाद में ही पता चलेगा।