फिल्म में साल 1987 से 1992 तक अजमेर शहर की कहानी को दिखाया गया है। इस समय कॉलेज में पढ़ने वाली 250 लड़कियों के साथ कुछ रसूखदार लोगों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। इन लोगों ने लड़कियों को अपना शिकार बनाने के लिए पहले उनकी न्यूड फोटोज पूरे शहर में बांट दी, फिर जिसके हाथ वो तस्वीरें लगती सब लड़कियों का दुष्कर्म करते।
फिल्म में पत्रकार का किरदार शुरू से इसकी जान रहा है, जिसे करण वर्मा ने शानदार तरीके से निभाया है। इसके लिए उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। सुमित सिंह और जरीना वहाब ने भी बढ़िया काम किया है। वहीं एसपी के रोल में राजेश शर्मा की एक्टिंग भी काबिलेतारीफ है। मनोज जोशी ने भी नेता के रूप में स्क्रीन पर अलग छाप छोड़ने का काम किया है।
जब आप किसी ऐसे विषय पर फिल्म बनाते है जिसने देश को कई मायनों में प्रभावित किया हो तो आपकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है इसे समझते हुए पुष्पेंद्र सिंह ने फिल्म का बेहतरीन डायरेक्शन किया है। हर सीन पर उन्होंने इतने बारीकी से काम किया है कि आप स्क्रीन से अपनी नजरें नहीं हटा पाएंगे। कलाकारों की काबिलियत को देखते हुए उन्होंने सभी से बेहतरीन काम लिया है। फिल्म के कुछ सीन तो आपके रोंगटे भी खड़े कर देंगे। कुल मिलाकर कहें तो यह फिल्म साल 1992 में हुए वहशीपन को आपके सामने बिल्कुल उसी तरीके से पेश करेगी, जिस तरह वह घटना सामने आई थी।