टेंटरा इन्काउंटर: सीआइडी ग्वालियर- भोपाल के बीच दौड़ रही फाइल, पूरी नहीं हो सकी जांच
– साढ़े 12 साल पहले टेंटरा थाना क्षेत्र में चार लोगों को मारा गया था इन्काउंटर में
टेंटरा इन्काउंटर: सीआइडी ग्वालियर- भोपाल के बीच दौड़ रही फाइल, पूरी नहीं हो सकी जांच
मुरैना. जिले के टेंटरा थाना क्षेत्र में साढ़े 12 साल पूर्व मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों के मामले की जांच सीआइडी ग्वालियर कर रही है लेकिन साढ़े बारह साल से ग्वालियर व भोपाल के बीच फाइल दौड़ रही है, भोपाल से क्वेरी निकालते हैं, ग्वालियर से पूरी करके भेज देते हैं, इसी तरह 12 सल आठ महीने निकल गए लेकिन जांच पूरी नहीं हो पा रही है। इस मामले में कई पुलिस वालों के गले पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।
विदित हो कि 22 नवंबर 2010 को टेंटरा के थाना प्रभारी अनिल सिंह भदौरिया ने दो अन्य थाने की पुलिस टीम के साथ एक कथित मुठभेड़ दिखाकर टेंटरा थाना क्षेत्र में जाटोली व गोदोली के बीच चंबल के बीहड़ में चार लोगों को मार दिया था। जिन लोगों को पुलिस ने मारा था, उस समय उन पर कोई अपराध नहीं था। उनके परिजन ने उस समय काफी विरोध किया और शिकायत भी की। उनकी मांग पर इस मामले में सीआइडी जांच के आदेश हुए तो तत्कालीन डीएसपी सीआइडी वीरेन्द्र सिंह ने विवेचना कर उसमें कोई साक्ष्य न मिलने पर मामले को फर्जी करार दिया और उन्होंने फाइनल रिपोर्ट तैयार कर जनवरी 2018 में सीआइडी मुख्यालय भेज दी। सीआइडी मुख्यालय से पुन: जांच हेतु फाइल ग्वालियर भेजी गई। वहां से जांच अधिकारी द्वारा जांच करके फाइल भोपाल भेज दी गई, वहां से फिर क्वेरी निकालकर फाइल ग्वालियर सीआइडी वापस कर दी है। अब उसमें क्वेरी पूरी करके पुन: फाइल भोपाल भेज दी है लेकिन जांच अभी पूरी नहीं हो सकी है।
ये मारे गए थे मुठभेड़ में
टेंटरा पुलिस इनकाउंटर में संजू पुत्र अमर सिंह बैश्य निवासी नेकामऊ, अनिल पुत्र भीखम कुशवाह निवासी कुतमाड़ा, गुड्डू पुत्र लल्लू सिंह बैश्य निवासी कमालपुर, सोनू पुत्र रविन्द्र सिंह बैश्य निवासी कमालपुर सभी जिला मैनपुरी उप्र मारे गए थे।
ये पुलिस अधिकारी, कर्मचारी कार्रवाई की जद में
तत्कालीन टेंटरा थाना प्रभारी अनिल भदौरिया के अलावा निरीक्षक एस एन दुबे, तत्कालीन एस ओ सरायछोला श्यामचंद शर्मा व उनकी टीम, प्रधान आरक्षक रविप्रकाश, रामअवतार, आरक्षक रामनिवास, कुलदीप, सोनपाल, राजकुमार, अमित सिंह, अवनीश, अशोक दोहरे शामिल रहे। इनके खिलाफ जांच चल रही है। हालांकि निरीक्षक एस एन दुबे का देहांत हो चुका है।
बढ़ सकती हैं धोखाधड़ी की धाराएं
टेंटरा मुठभेड़ की जांच में नया मोड़ उस समय आ गया जब जांच अधिकारी व उस समय सबलगढ़ में रहे तहसीलदार मान सिंह पावक के हस्ताक्षर का मिलान किया। तहसीलदार ने यह कह दिया मजिस्ट्रियल जांच में मेरे हस्ताक्षर नहीं हैं। जांच में अब एक और नया पहलू जुड़ गया है। तहसीलदार के हस्ताक्षर को लेकर सीआइडी कार्रवाई करती है तो धोखाधड़ी की धाराएं बढ़ाई जा सकती हैं।
मजिस्ट्रियल जांच पर भी उठे सवाल!
टेंटरा सबलगढ़ अनुविभाग में आता है इसलिए पुलिस इनकाउंटर में मारे गए चार लोगों के मामले में मजिस्ट्रियल जांच एसडीएम सबलगढ़ से करानी थी लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मुरैना के तत्कालीन एसडीएम डी के कम्ठान से जांच करवाई गई। खबर है कि उस समय जो सबलगढ़ में एसडीएम थे वह आइएएस थे, उन्होंने जो सच्चाई थी, वही रिपोर्ट दी इसलिए बाद में मुरैना के एसडीएम से जांच करवाई गई। इसलिए मजिस्ट्रियल जांच पर भी सवाल खड़े होते हैं।
इनकाउंटर में शामिल अधिकारियों के हुए प्रमोशन
सामान्यतौर पर किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच या मामला न्यायालय में लंबित है तो उनका प्रमोशन नहीं किया जा सकता। लेकिन टेंटरा इनकाउंटर में शामिल निरीक्षक एस एन दुबे इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन इनके अलावा अन्य पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के विभाग प्रमोशन कर चुका है।
फैक्ट फाइल
– 22 नवंबर 2010 को किया था पुलिस ने इनकाउंटर।
– 2012 में परिजन ने लगाई थी हाइकोर्ट ग्वालियर में याचिका।
– 2012 में ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की थी परिजन ने शिकायत।
– 04 लोग मारे गए थे पुलिस इनकाउंटर में।
– 20 से अधिक पुलिस अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे इनकाउंटर में।
– 2018 जनवरी महीने में सीआइडी डीएसपी मुख्यालय भेज चुके थे फर्जी मुठभेड़ की जांच रिपोर्ट, उसके बाद से भोपाल ग्वालियर के बीच फाइल दौड़ रही है।
कथन
– टेंटरा इनकाउंटर की जांच मेरे द्वारा की जा रही है। भोपाल से क्वेरी मांगी थी। वह पूरी करके भोपाल भेज दी है, वहां से क्या आदेश मिलता है, उसके हिसाब से आगे जांच की जाएगी।
रामबाबू यादव, जांच अधिकारी व निरीक्षक, सीआइडी, ग्वालियर
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