जानकारी के अनुसार सोमवार को मनोज बरेठा गढ़ी क्षेत्र में घूम रहा तभी झाडिय़ों से उसे तीन किलो वजन का एक लोहे का गोला मिला। उसने कबाड़ में महावीर राठौर को बेच दिया। इस बीच गुरुवार को गढ़ी परिसर में स्थित सैय्यद की मजार के मौलवी पुच्चो शाह को मजार के पास झाड़ियों को साफ करते समय चार किलो वजन का तोप का गोला मिला।
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इसके बाद यह सूचना कस्बे में फैली तो पता चला कि मनोज बरैठा को तोप का एक गोला मिला था। इसके बाद सक्रिय हुए विभाग ने वह गोला भी मनोज बरेठा के माध्यम से कबाड़ी से वापस ले लिया। दोनों गोलों को सुरक्षित रखा गया है, जिन्हें जिला पुरातत्व संग्रहालय में भिजवाया जाएगा। तोप के गोले मिलने की सूचना पर कस्बे के लोग गढ़ी के पास एकत्र हो गए और विभाग को सूचना दी। इस गढ़ी का निर्माण मुगलकाल में राजा सोमप्रताप सिंह ने दुर्ग की भांति करवाया था।
इसमें कुआं, बावड़ी, तलघर, खजाना एवं तोप खाना मौजूद हैं। गढ़ी के चारों ओर 15 फीट चौड़ी और 20 फीट गहरी खाई भी सुरक्षा कारणों से बनी है। चारो कोनों पर गुंबद के अलावा हिंदू धर्म के राधाकृष्ण, शिव परिवार एवं हनुमान जी का मंदिर है। वहीं सैय्यद की मजार भी बनी है। इससे ऐसा लगता है कि राजा सोमप्रताप सिंह सभी धर्मों में गहन आस्था रखते थे।
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हम गढ़ी में दिखवाते हैं, चौकीदार पदस्थ है फिर भी उसे जानकारी क्यों नहीं है ? तोप गोलों को कबाड़े वाले से उठवाते हैं। पुलिस की मदद भी लेंगे। कबाड़ वालों को भी नहीं लेने चाहिए, तोप के गोले हैं, फट भी सकते हैं। तोप के गोलों को संग्रहालय में रखा जाएगा। गोले बाद में चौकीदार ने जब्त कर लिए हैं। उन्हें संग्रहालय में रखवाया जाएगा। एक टीम भी जल्द सर्चिंग अभियान चलाएगी।
-पीसी मोहोबिया, उप संचालक पुरातत्व अभिलेखागार, ग्वालियर
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