दूध में मिलावटखोरी में वीरेन्द्र गुर्जर और उसके लैब टेक्निशीयन अजय माहौर को एसटीएफ ने पकड़ा था। इंट्रोगेशन में दोनों ने खुलासा किया था कि किसानों से हर दिन करीब 15 हजार लीटर दूध खरीदते हैं, उसमें मिलावट करके करीब 25 हजार लीटर दूध तैयार कर खपाते हैं। इस खुलासे पर एसटीएफ ने वनखण्डेश्वर डेयरी का बैंक एकाउंट ट्रेस किया। अभी वीरेन्द्र और अजय माहौर के निजी खातों की पड़ताल बाकी है। हालांकि शुरुआती पूछताछ में मास्टरमाइंड वीरेन्द्र ने बताया था कि इस धंधे को शुरू करने के बाद उसके पास पैसों की कमी नहीं है। मिलावटखोरी से जो पैसा कमाकर दूध सप्लाई के लिए टैंकर भी खरीदे हैं। उनसे ही कई कंपनियों में दूध भेजता है। एसटीएफ का कहना है कि वीरेन्द्र और अजय से काले कारोबार के बारे में जो जानकारियां मिली हैं उनकी तस्दीक की जा रही है।
वनखण्डेश्वर डेयरी में दूध में मिलावट होती है इसकी जानकारी डेयरी की जांच पड़ताल करने वाले सरकारी अमले को भी रही होगी आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा है। समय-समय पर डेयरी की पड़ताल करने आने वाले अधिकारियों ने उसके बारे में क्या रिपोर्ट दी हैं। मिलावटी दूध होने की आशंका जाहिर की है या उसे ओके बताया है। उनके ब्यौरे का भी पता लगाया जा रहा है।
मिलावटी दूध के धंधे में वीरेन्द्र के साथ कारोबार करने वालों पर एसटीएफ का फोकस है। उन लोगों को ढूंढा जा रहा है जो वनखण्डेश्वर डेयरी में दूध सप्लाई करते थे और यहां तैयार दूध को खरीदते रहे हैं। क्योंकि वीरेन्द्र और अजय ने बताया था कि डेयरी में दूध की मिलावट होती है इसकी जानकारी दूध सप्लाई करने वालों को भी थी। सबको पता था कि डेयरी में 43 रुपए लीटर के हिसाब खरीदा जाता है जबकि सप्लाई दो रुपए कम में 41 रुपए में होती है। जिन नामी गिरामी कंपनियों में डेयरी से दूध जाता था वहां भी प्रंबंधन से वीरेन्द्र गुर्जर की मिलीभगत की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा है।
एसटीएफ के मुताबिक नकली दूध कारोबार में पकड़े गया वनखण्डेश्वर डेयरी अंबाह का संचालक वीरेन्द्र गुर्जर और लैब टैक्निशियन अजय माहौर की रिमांड पूरी हो गई है। दोनों को जेल भेजा जा चुका है। वीरेन्द्र ने मुरैना में इस तरह मिलावटी दूध के कई और ठिकानों के बारे में जानकारी दी है। उनका भी पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा वीरेन्द्र के साथ मिलावटी दूध के कारोबार में जो शामिल थे उन्हें भी तलाशा जा रहा है।