आसपास तेंदुआ दिखता है तो इसे लटकी रस्सी की मदद से ‘खतरे की घंटी’ की तरह बजा देते हैं। तेज आवाज सुनकर आसपास की बड़ी आबादी के लोग सतर्क हो जाते हैं और अपने बच्चों, मवेशी, अन्य पशु को सुरक्षित जगह पहुंचा देते हैं। लोग बताते हैं कि यहां पिछले कुछ दिनों से हर जुबां पर एक ही नाम सबसे ज्यादा है…तेंदुआ। डर इतना कि शाम होते-होते लोग या झुंड में रहते हैं या घरों में कैद हो जाते हैं। उधर, वन विभाग की टीम का अब तक कोई पता नहीं, इसको लेकर लोगों में रोष है।
मुरादाबाद मंडल के तीन जिलों मुरादाबाद, रामपुर व बिजनौर में तेंदुए का आतंक है। अगवानपुर में हाल में तेंदुए द्वारा पशुओं पर हमले के कई मामले सामने आए। 12 सौ से 13 सौ आबादी वाले मोहल्ला सराय फारुख के रहने वाले मो. अब्बास ने दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि पांच दिन पहले गन्ने के खेतों की ओर से भोर में एक तेंदुआ बिलौटे का पीछा करते-करते आ धमका। वह पशुओं की रखवाली के लिए बाहर बैठे हुए थे। कुछ समझ पाते कि इतनी देर में तेंदुए ने तेज छलांग लगाई और पहली मंजिल से बिलौटे को पकड़ लिया। उसे घसीटते हुए लेकर चला गया। इस घटनाक्रम से अब्बास डर गए।
अब्बास बताते हैं कि उस दिन के बाद से पशुओं की रखवाली के लिए रात-रात भर जगना पड़ता है। आपात स्थिति में आस-पास के लोगों को जानकारी हो सके, इसके लिए खाली पीपे को रस्सी के सहारे बांधा गया है। तेंदुए के आने की दशा में उसे बजाकर लोगों को अलर्ट कर दिया जाता है। आस-पास के लोगों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।
वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बचाव के लिए घरों के आस-पास साफ-सफाई रखे। झाड़ियां ना होने पाए। रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखें। पशुओं को अंदर बांधे। खुले में ना बांधे। हरसंभव कोशिश करें कि सूर्यास्त के बाद खेतों की ओर ना जाए। बहुत आवश्यकता पड़ने पर जाए भी तो झुंड में जाएं। हाथों में लाठी-डंडा लिये रहें। तेंदुआ दिखने की स्थिति पर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद वन विभाग की टीम को सूचित करें। वन विभाग की टीम क्षेत्र में कांबिंग करेगी, जरूरत पड़ने पर पिजड़ा भी लगाया जाएगा।