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मुरादाबाद

बहराइच में भेड़िए तो मुरादाबाद में तेंदुए का आतंक, डर के साये में 50 हजार की आबादी, खौफ में कट रही रातें

Leopard in Moradabad: मुरादाबाद के कस्बा अगवानपुर में इन दिनों चर्चा में बस एक नाम है तेंदुआ। 50 हजार आबादी वाले क्षेत्र में हर कोई पीड़ा बयां करना शुरू कर देता है। डर ऐसा है कि तेंदुए से बचने के लिए लोग झुंड में लाठी-डंडों से लैस होकर खेतों को जा रहे हैं। खेत के आस-पास बिना काम लोग जाने से बच रहे हैं। पशुओं की सुरक्षा के लिए रात-रात जग रहे हैं।

मुरादाबादSep 06, 2024 / 08:17 am

Mohd Danish

Wolves in Bahraich and terror of leopards in Moradabad

Terror of Leopard in Moradabad

Terror of Leopard in Moradabad: मुरादाबाद कमिश्नरी से मात्र 10 किलोमीटर दूर… कस्बा अगवानपुर। करीब 50 हजार की आबादी के इस इलाके में अलग ही नजारा दिखा। आम मुहल्लों में जहां कई घरों पर राष्ट्रीय ध्वज या धर्म पताका लगी थी। वहीं, कई मुहल्लों में जंगल या खेत की ओर से लगे कुछ घरों पर एक अलग ही नजारा दिखा। यहां छत की ओर कनस्तर टंगे थे, जिन पर लंबी सी रस्सी लटकी थी। चौंकते हुए आसपास के लोगों से पूछा तो पता चला कि यह आम कनस्तर नहीं बल्कि एक तरह का अलार्म है।
आसपास तेंदुआ दिखता है तो इसे लटकी रस्सी की मदद से ‘खतरे की घंटी’ की तरह बजा देते हैं। तेज आवाज सुनकर आसपास की बड़ी आबादी के लोग सतर्क हो जाते हैं और अपने बच्चों, मवेशी, अन्य पशु को सुरक्षित जगह पहुंचा देते हैं। लोग बताते हैं कि यहां पिछले कुछ दिनों से हर जुबां पर एक ही नाम सबसे ज्यादा है…तेंदुआ। डर इतना कि शाम होते-होते लोग या झुंड में रहते हैं या घरों में कैद हो जाते हैं। उधर, वन विभाग की टीम का अब तक कोई पता नहीं, इसको लेकर लोगों में रोष है।
मुरादाबाद मंडल के तीन जिलों मुरादाबाद, रामपुर व बिजनौर में तेंदुए का आतंक है। अगवानपुर में हाल में तेंदुए द्वारा पशुओं पर हमले के कई मामले सामने आए। 12 सौ से 13 सौ आबादी वाले मोहल्ला सराय फारुख के रहने वाले मो. अब्बास ने दर्द बयां किया। उन्होंने बताया कि पांच दिन पहले गन्ने के खेतों की ओर से भोर में एक तेंदुआ बिलौटे का पीछा करते-करते आ धमका। वह पशुओं की रखवाली के लिए बाहर बैठे हुए थे। कुछ समझ पाते कि इतनी देर में तेंदुए ने तेज छलांग लगाई और पहली मंजिल से बिलौटे को पकड़ लिया। उसे घसीटते हुए लेकर चला गया। इस घटनाक्रम से अब्बास डर गए।
अब्बास बताते हैं कि उस दिन के बाद से पशुओं की रखवाली के लिए रात-रात भर जगना पड़ता है। आपात स्थिति में आस-पास के लोगों को जानकारी हो सके, इसके लिए खाली पीपे को रस्सी के सहारे बांधा गया है। तेंदुए के आने की दशा में उसे बजाकर लोगों को अलर्ट कर दिया जाता है। आस-पास के लोगों को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।
वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बचाव के लिए घरों के आस-पास साफ-सफाई रखे। झाड़ियां ना होने पाए। रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखें। पशुओं को अंदर बांधे। खुले में ना बांधे। हरसंभव कोशिश करें कि सूर्यास्त के बाद खेतों की ओर ना जाए। बहुत आवश्यकता पड़ने पर जाए भी तो झुंड में जाएं। हाथों में लाठी-डंडा लिये रहें। तेंदुआ दिखने की स्थिति पर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद वन विभाग की टीम को सूचित करें। वन विभाग की टीम क्षेत्र में कांबिंग करेगी, जरूरत पड़ने पर पिजड़ा भी लगाया जाएगा।

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