छोटे दल बिगाड़ेंगे खेल
इस बार कुंदरकी सीट से सपा ने हाजी मोहम्मद रिजवान पर भरोसा जताया है।स्थानीय स्तर पर हाजी रिजवान का मुस्लिम समुदाय में विरोध भी है जो समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। कई मुसलमान उम्मीदवार होने से अगर मुस्लिम वोटरों में बंटवारा हुआ तो भाजपा के लिए संभावनाएं बन सकती हैं। वहीं भाजपा ने रामवीर सिंह को टिकट दिया है। भाजपा ने इस सीट पर जीतने के लिए एड़ी चोटी की जोर लगा दी है। मुख्यमंत्री भी कुंदरकी में दौरा कर चुके हैं। एआईएमआईएम ने हाफिज वारिस को टिकट देकर मैदान में उतारा है। हाफिज वारिस ने 2022 के चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी। उन्होंने चुनाव में 14 हजार 700 मत पाए थे। बसपा की तरफ से प्रत्याशी रफतउल्ला भी मैदान में हैं। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने चंदाबाबू को मैदान में उतारा है। 1993 में हुई थी बीजेपी की जीत
सपा के नेताओं का मानना है कि इस सीट से उन्हें कोई नहीं हरा सकता। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुंदरकी के लोगों का कहना है कि 1993 में कुंदरकी विधानसभा से भाजपा की जीत हुई थी। जिसके बाद बसपा और सपा जीतती चली आ रही है, लेकिन इस बार फिर हमारा प्रयास है, हम सभी मिलकर बीजेपी को वोट देंगे और पुनः भाजपा को जिताएंगे। 13 नवंबर को मतदान होने वाला है और 23 नवंबर को मतगणना की जाएगी। इस बार छोटे दलों के मैदान में आने से चुनाव बेहद रोमांचक हो गया है। सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या इस बार सपा के गढ़ में बीजेपी झंडा लहरा पाएगी या सपा इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखेगी।