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एक घंटे में बदल देती है चार सौ मीटर का ट्रैक
उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल में अगवानपुर क्षेत्र में आज अमेरिका से आयातित टीआरटी मशीन द्वारा पुराने रेलवे ट्रैक को बदलने का काम किया गया। इस दौरान रेलवे के तमाम बड़े अधिकारी और टेक्निकल विभाग से जुड़े कर्मी मौके पर मौजूद रहे। हार्सको रेल अमेरिका द्वारा भारतीय रेलवे को मुहैया कराई गई इस टीआरटी मशीन के जरिये पहले दक्षिण रेलवे में पटरियों को हटा कर नई पटरियों को बिछाने का काम किया गया था। कुछ समय पहले रेलवे द्वारा यह मशीन उत्तर रेलवे को मुहैया कराई गई जिसके बाद इसके द्वारा उत्तर रेलवे में खराब पड़ी पटरियों को बदला जा रहा है। महज 30 इंजीनियरों और कर्मचारियों की मदद से यह मशीन एक घण्टे में लगभग चार सौ मीटर रेलवे ट्रैक को बदल कर नए ट्रैक को स्थापित कर सकती है।
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इस तकनीक से करती है काम
अति आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रीकल्स मैकेनिकल और हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के मेल से तैयार यह टीआरटी मशीन वर्तमान समय मे सबसे बढ़िया मशीनों में एक है। इस मशीन में तीन कार्य प्रणाली है जिसके जरिये यह पुराने और खराब रेलवे ट्रैक को मिनटों में बदल सकती है। रेलवे ट्रैक पर काम करने के दौरान सबसे पहले इस मशीन से पावर प्लांट और हाइड्रोलिक प्रणाली की पावर कार को शुरू किया जाता है। उसके बाद पुरानी पटरियों और स्लीपर को खोलने ओर हटाने के लिए कन्वेयर्स वाली हैंडलिंग कार को ऑपरेट किया जाता है। पुराने स्लीपर हटाने, मिट्टी को समतल करने और उसकी सतह ठोस करने के लिए मशीन के हैंडलिंग कार में बीम कार मौजूद है। पुराने स्लीपर हटाकर नए स्लीपर लगाने के लिए मशीन में सेल्फ पावर की दो क्रेंने लगाई गयी है।
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अब तक 100 किलोमीटर ट्रैक बदल चुकी है मशीन
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नितिन चौधरी ने बताया कि अब तक 100 किलोमीटर से ज्यादा ट्रैक को बदल चुकी है। इस मशीन के उत्तर रेलवे में आने से अधिकारियों को उम्मीद है की जल्द ही पुरानी हो चुकी पटरियों को कम समय में बदल दिया जाएगा। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक पहले ट्रैक बदलने के लिए रेलवे मजदूरों की मदद लेता था लेकिन अब टीआरटी मशीन के आने से जहां एक और मजदूरों की जरूरत कम हुई है वही इससे कई दिन चलने वाला काम महज एक दिन में पूरा हो जाता है।