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मुरादाबाद

Person of the week: मिलिए इन जुड़वा बहनों से, उधार की रायफल से देश के लिए पदक जीतने की जिद

Highlights-शौकिया निशानेबाजी से शुरू किया था दोनों बहनों ने सफ़र
-अब निशानेबाजी बन गया है जूनून
-कोच और परिवार वालों ने बढ़ाया हौसला
-देश के लिए मेडल जीतना है अब सपना

मुरादाबादJan 10, 2020 / 06:01 pm

jai prakash

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मुरादाबाद: इंसान के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती। जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है। शहर की जुड़वा बहनों अंशिका और वंशिका विश्नोई ने। जो उधार की रायफल से पदकों पर निशाना साधते हुये टीम इंडिया के प्रवेश द्वार पर पहुंच गईं हैं। दोनों ही बहनों ने भोपाल में नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में अव्वल स्थान हासिल करने के बाद अब इनकी कोशिश राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने की है। जिसके लिए दोनों बहनों तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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भोपाल में दिया नेशनल के लिए ट्रायल
अगले महीने होने वाले ट्रॉयल के लिए उधार ली गई बंदूक और एक किट से अभ्यास कर रहीं। इन बहनों का सपना देश का नाम रोशन करने का है। अंशिका और वंशिका जुड़वा बहनें हैं और मुरादाबाद के कांशीरामनगर में रहती हैं। कुछ दिनों पहले भोपाल में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में दोनों बहनों ने हिस्सा लिया और टीम इंडिया के ट्रॉयल के लिए क्वालीफाई किया। बेटियों की इस सफलता से परिजन खुश हैं। पिता एक निजी कम्पनी में काम करते हैं और दस हजार रुपये महीने की सैलरी में परिवार का पालन-पोषण कर रहे। अंशिका और वंशिका का कहना है कि वह अपने कोच मुकुल टंडन की राइफल से अभ्यास और प्रतियागिताओ में भाग लेती हैं। अगर सरकार या प्रशासन उनकी मदद करे तो वह अपने खेल और अधिक बेहतर बना सकती है। उनका लक्ष्य अब टीम इंडिया में अपना स्थान बना कर देश का नाम रोशन करना है। उसके लिये बह दिन रात कड़ी मेहनत करेंगी।

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पिता सपना पूरा हर कीमत पर करेगा

जुड़वा खिलाड़ी बेटियों के पिता राजीव विश्नोई का कहना है की मेरी दोनों बेटियां मेरे बेटे से कम नही है । उनकी तरक्की और उनके खेल के लिए वो कुछ भी करेंगे अगर उनको बेटियों के लिये अपना घर तक बेचना पड़ा तो इससे भी परहेज नहीं करेंगे। ऐसे में बेटियां भी खुद को साबित करने में पीछे नहीं रहना चाहती और अभावों को पीछे छोड़ बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार कर रही हैं।

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शौकिया शुरू किया था सफ़र
स्कूल में निशानेबाजी की प्रतियोगिता में शिरकत करने के बाद दोनों बहनों ने इसे करियर के तौर पर अपनाया और आज दोनों अपनी मेहनत से अपने सपने को साकार करने का प्रयास कर रहीं हैं। खेल और खिलाड़ियों के लिए सरकारें तमाम दावें करती हैं। जबकि हकीकत अंशिका और वंशिका बेहतर समझती हैं। स्कूल से लेकर नेशनल लेवल तक कई पदक जीत चुकी दोनों बहनों का सपना टीम इंडिया के लिए अब मेडल झटकना है, उनका ये सपना पूरा होगा या नहीं ये तो भविष्य तय करेगा, लेकिन जज्बा देख ये अंदाजा जरुर लगाया जा सकता है कि दोनों बहनों के हौसले के आगे मुश्किलें भी घुटने टेक रहीं हैं

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