ये भी देखें: आज इन पांच राशि वालाें काे रहना हाेगा सचेत, जानिए बन रही हैं क्या आशंकाएं दरअसल मुरादाबाद जिले के गांव बहजोई में पातालेश्वर नाम से भगवान शिव का प्राचीन शिव मंदिर है। वैसे तो महादेव को आप कुछ भी चढ़ा दे वो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सावन में तो कैलाश पति को भांग-धतूरा, दूध, दही से विशेष पूजा की जाती है। लेकिन पातालेश्वर मंदिर में भक्त विशेष रुप से झाड़ू चढ़ाई जाती है। लोगों का कहना है कि मंदिर करीब 150 साल पुराना है और झाड़ू चढाने की प्रथा कई सालों से चली आ रही है जिसे भक्त आज भी मानते हैं। वहीं मंदिर के पुजारी के मुताबिक इस गांव में एक व्यक्ति को त्वचा से जुड़ा रोग हो गया था जिसका इलाज सम्भव नहीं था। गांव के लोग भी उससे दूर रहने लगे। लेकिन एक दिन जब वो इलाज के कहीं जा रहा था तभी मंदिर में जा कर एक महंत से टकरा गया जो मंदिर में झाड़ू मार रहा था। जिसके बाद उसका चर्म रोग धीरे-धीरे ठीक हो गया। इस चमत्कार के बाद उसने वहां भगवान शिव का मंदिर बनवाया सोची जिसके बाद ये मन्दिर प्रचलित हो गया और आज भी लोग यहाँ पर झाड़ू चढ़ाने आते हैं।
लोगों की मान्यता है कि यहां झाड़ू चढाने से कई मुरादें पूरी होती हैं और स्किन से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती हैं। सावन के महीने में देश भर से लाखों की संख्या में श्रदालु सादात बाड़ी के पातालेस्वर मंदिर में पहुंच कर चर्म रोगों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर झाड़ू अर्पित करते हैं। पातालेस्वर मंदिर परिसर में लगी दुकानों पर प्रसाद की सामग्री के साथ झाड़ू भी बिकती है। महाशिवरात्री पर मंदिर परिसर में विशाल मेला भी लगता है। जिसके लिए कई दिन पूर्व ही तैयारियां शुरू हो जाती है। खास बात यह है कि इस अनूठे शिव मंदिर की प्रबंधन व्यवस्था के लिए कोई कमेटी या ट्रस्ट नहीं है। महाशिवरात्री पर आने वाले लाखों शिवभक्तों के लिए इलाके के शिवभक्त आपसी सहयोग से ही व्यवस्थाएं देखते हैं।