इस बाबत डीएम महेन्द्र बहादुर ने जानकारी देते हुए बताया है कि सरकार की मंशा स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेहद गम्भीर है। साल भर हर माह के प्रत्येक बुधवार और शनिवार को स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी डॉक्टर गांव-गांव जाकर स्वास्थ मेला लगाएंगे, जहां पर बीमार मरीजों का परीक्षण करके उनका इलाज किया जाएगा। इसके अलावा उनकी बीमारी का लेखाजोखा भी रखा जाएगा। किस गांव मे किस रोग के कितने मरीज हैं, उनका इलाज कब शुरू हुआ है और कब खत्म होगा यह सब रिकार्ड स्वास्थ्य महकमे को हर गांव का रखना होगा। इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गई हैं। 1 अगस्त से ही स्वास्थ्य मेले का परिक्षण शुरू हो जाएगा।
स्वास्थ मेले से लोगों को मिलेगा लाभ बता दें कि टीबी रोगी को अब अस्पताल नहीं जाना होगा, उनकी जांच गांव में ही हो जाएगी। इसके अलावा अब कोई बच्चा कुपोषित नहीं रहेगा। इसके लिए प्रत्येक गांव के कुपोषण बच्चों को चिन्हित करके उन्हें डाइट देने का काम किया जाएगा। इसके अलावा आगंवाडी और गांव के प्रधान स्वास्थ्य टीम के साथ गांव का मुआएना करके बीमार लोगों को स्वस्थ्य कराने का काम करेंगे। जिसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी जाएगी ताकि शासन को यह पता चल सके कि इस जिले की स्वास्थ्य स्थति क्या है।
गौरतलब है कि जिला अस्पताल से लेकर कस्बा और तहसील स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ऐसी है कि आए दिन लोग इलाज नहीं मिलने का आरोप लगाते हैं। वहीं जिले में दिल से लेकर न्यूरो सर्जन तक कोई डॉक्टर नहीं है। इस जिले की पहचान पहले नवाबों के नाम से थीय। आज मुख्तार अब्बास नकवी, आजम खान, जया प्रदा, अमर सिंह समेत लोग यहां से जनता के जनप्रतिनिधि बने कुछ हैं लेकिन यहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो पाई।