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मुरादाबाद

घोटाला:बिना रिकॉर्ड के चार सौ सफाई कर्मियों को मिल रही थी सैलरी,करोड़ों के गबन का अंदेशा

निगम में काम कर रहें एक सौ चार सफाईकर्मीयों का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं होने के वावजूद कर्मचारियों को हर महीने सैलरी का भुगतान किया जा रहा था।

मुरादाबादJul 13, 2018 / 08:43 pm

jai prakash

moradabad

घोटाला:बिना रिकॉर्ड के चार सौ सफाई कर्मियों को मिल रही थी सैलरी,करोड़ों के गबन का अंदेशा

मुरादाबाद: अक्सर विवादों में रहने वाले नगर निगम की कमीशनखोर कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। निगम में काम कर रहें एक सौ चार सफाईकर्मीयों का कोई रिकार्ड मौजूद नहीं होने के वावजूद इन कर्मचारियों को हर महीने सैलरी का भुगतान किया जा रहा था। अब तक ढेड़ करोड़ से ज्यादा सैलरी का भुगतान कर चुके नगर निगम की शुरुआती जांच में कर्मचारियों के फर्जी होने का शक जाहिर किया गया है जिसके बाद उनकी सैलरी का भुगतान रोक दिया गया है। नगर आयुक्त द्वारा कराई जा रही जांच में कई अधिकारी भी सवालों के घेरे में है।

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इस कम्पनी पर था ठेका

नगर निगम द्वारा कुछ दिन पहले नगर की सफाई का जिम्मा हिंदुस्तान सिक्योरटी कम्पनी को दिया गया था। कम्पनी द्वारा सभी सफाईकर्मियों का रिकार्ड नगर निगम से तलब किया गया तो निगम अधिकारियों ने आठ सौ कर्मचारियों का रिकार्ड कम्पनी को दिया। आउट सोर्सिंग से निगम में भर्ती कर्मियों के ई.पी.एफ. खाते खोलने के लिए जब कम्पनी ने जरूरी दस्तावेज निगम से मांगे तो निगम अधिकारियों की लाहपरवाही सामने आ गई। निगम द्वारा एक सौ चार संविदाकर्मियों के दस्तावेज कम्पनी को सौंपे ही नहीं गए जबकि 86 कर्मियों के आधार कार्ड गलत पाए गए।

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गलत यू.ए.एन.नम्बर दर्ज किए गए

निगम द्वारा सौंपी दिए गए 56 कर्मियों के यू.ए. एन. नम्बर गलत दर्ज किये गए थे। कुल 246 संविदाकर्मियों के दस्तावेजों में गड़बड़ी और बगैर दस्तावेज होने के वावजूद भी सफाईकर्मियों को वेतन भुगतान किये जाने से निगम को अब तक ढेड़ करोड़ से ज्यादा का चूना लग चुका है। सफाई का जिम्मा सम्भाल रही कम्पनी की शिकायत के बाद नगर आयुक्त द्वारा कराई गई जांच में बिना रिकार्ड के सैलरी दिए जाने की पुष्टि हुई जिसके बाद नगर आयुक्त अवनीश कुमार शर्मा ने तत्काल प्रभाव से बिना दस्तावेज वाले कर्मियों की सैलरी का भुगतान रोक दिया और मामले की जांच के आदेश दिए है। मामले की जांच वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपी गई है। संविदाकर्मियों को लेकर हुए इस फर्जीवाड़े में निगम अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जांच अधिकारी के मुताबिक मामले की जांच के दौरान संविदाकर्मियों का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा और दस्तावेज जमा नहीं किये गए या गायब किये गए है इसकी भी जांच होगी।

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सफाई कर्मचारी नेता बचाव में कूदे

उधर मामले की जांच शुरू होते ही सफाईकर्मियों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। निगम में सफाईकर्मी नेता कर्मचारियों के बचाव में लगातार दलीलें दे रहे है और उनका कहना है की निगम के अधिकारी सफाईकर्मियों को बदनाम करने के लिए फर्जीवाड़े का आरोप लगा रहे है। दूसरी तरफ सफाई का जिम्मा सम्भाल रही हिंदुस्तान सिक्योरटी कम्पनी के अधिकारी के मुताबिक आउट सोर्सिंग से आये कर्मियों के खाते खोलने के लिए दस्तावेज आवश्यक है। लेकिन दस्तावेज मुहैया ना होने के चलते कर्मियों की पहचान करना मुश्किल है।

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पहले भी हो चुका है घोटाला

यहां बता दें कि नगर निगम पर पहले भी फर्जी सफाईकर्मियों को भर्ती करवाकर उनके नाम से सैलरी डकारने के मामले सामने आए है। साथ ही संविदाकर्मी सफाईकर्मी भर्ती हुए कई युवकों पर ड्यूटी से गायब रहने और हर महीने सैलरी लेने आने का भी आरोप लगता आया है। सवाल यह भी है की आखिर इतने सालों से बिना दस्तावेज के काम कर रहे सफाईकर्मियों का वेतन किसको भुगतान किया जा रहा था और वो रसूखदार अधिकारी कोंन थे जिनका इस फर्जीवाड़े को संरक्षण हासिल था।

 

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