देश की राजधानी दिल्ली के राजघाट के अलावा बापू की अस्थियां इस समाधी स्थल में भी दफन है। कहा जाता है कि तत्कालीन नबाब बापू के परिवार से उस वक़्त मिले थे, जब उनकी अस्थियों को राजघाट में दफनाने की कार्यवाही चल रही थी। रामपुर के नबाब ने उनके परिवार से बापू की कुछ अस्थियां मांग ली थी । कहा यह भी जाता है कि बापू के परिवार ने रामपुर के नबाब को कुछ शर्तों के साथ कुछ अस्थियां दे दी थी।
बापू की अस्थियों को रामपुर के नबाब ने सोने के कलश में भरकर अपने निजी ट्रेन के डिब्बे से रामपुर ले आए थे। बताते हैं कि रामपुर पहुंचकर नवाब ने कई हाथी मंगाऐं, जिन्हें सजाया गया और सोने के कलशों को उन पर रखकर नगर में घुमाया गया। बाद में नगर के बीचोबीच बापू की अस्थियों को दफन कर दिया गया था।
यहां पर देश के बड़े-बड़े राजनेता आकर माथा टेक चुके हैं। खुद पूर्व की सरकार में केबीनेट मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां ने बापू स्मारक में करोड़ों रुपए लगाकर इसका जीर्णशीर्ण का काम करवाया था, जो आज बेहद भव्य बापू स्मारक माना जाता है। इस बार गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को योगी सरकार के राज्य मंत्री बलदेव ओलख के यहां आने का कार्यक्रम है। उनके साथ ज़िले के कलेक्टर और सुपरिटेंडेंट के अलावा नगर पालिका समेत ज़िले की भाजपा इकाई के लोगों के भी आने की संभावना है। न सिर्फ गांधी जयंती पर, बल्कि सभी राष्ट्रीय त्योहारों के मौके पर भी इस स्मारक को सजाया जाता है।