यह यूजर-फ्रेंडली है, सार्वजनिक तथा फ्रंटलाइन के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं दोनों के लिए सुलभ है जो शुरुआती मोतियाबिंद (Motiyabind) जांच में ग्रामीण समुदायों की सहायता करेगा। इसका टारगेट अनुपचारित मोतियाबिंद के कारण होने वाले अंधेपन और दृष्टि संबंधित समस्याओं को खत्म करना है। प्रारंभ में एप का उपयोग वाराणसी, फतेहपुर और हापुड में किया जाएगा।
राजस्थान फ्री स्मार्टफोन योजना : जानें, कौनसा फोन लेना होगा फायदेमंद
ईशान ने दावा किया है कि फिलहाल भारत में ऐसा कोई एप उपलब्ध नहीं है। ईशान का कहना है कि मेरे नाना-नानी दोनों मोतियाबिंद से पीडि़त थे, जिसने मुझे इस संबंध में काम करने के लिए प्रेरित किया। यूपीटीएसयू के एक डेटा वैज्ञानिक सत्य स्वरूप ने कहा, “इस एप के माध्यम से हम ग्रामीण भारत में मोतियाबिंद जांच में क्रांति लाना चाहते हैं।” शिविर की शुरुआत एप के प्रदर्शन और प्रतिभागियों के लिए मुफ्त स्क्रीनिंग के साथ हुई।
-आईएएनएस