रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल ने ऐप को स्पैम और मिनिमम फंक्शनैलिटी पॉलिसी के वॉयलेशन के लिए गूगल प्ले स्टोर से हटाया। गूगल की पॉलिसी के मुताबिक, दूसरे ऐप्स के कॉन्टेंट में बिना बदलाव करें उसे अपलोड करना पॉलिसी के खिलाफ माना जाता है। वहीं दून निवासी साइबर फोरेंसिक एक्सपर्ट व डाटा रिसर्चर अंकुर चंद्रकात का कहना है कि मित्रों ऐप का असल नाम टिक-टिक है और इसे पाकिस्तानी डेवलपर से खरीदा गया था। इसके बाद ऐप के कोड में भी कोई बदलाव नहीं किया गया और सिर्फ लोगो बदलकर पेश कर दिया गया था।
कहा जा रहा था कि Mitron App को IIT रुड़की के छात्र शिवांक अग्रवाल ने तैयार किया है। हालांकि जब साल 2011 में पासआउट शिवांक से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे में नहीं पता और उनका ऐप से कोई लेना देना नहीं है। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 7वें नंबर पर रखा गया था। Mitron App की रेटिंग 4.7 थी और इसके डिस्क्रिप्शन में लिखा गया था कि हमारा मिशन एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना है जहां दुनियाभर के लोगों छोटे वीडियो के जरिए एंटरटेन हो सके।
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बता दें कि Mitron ऐप का सोर्स कोड एक पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी Qboxus से खरीदा गया है। इस सोर्स कोड को पैसे देकर खरीदते हैं इसलिए खरीदने वाला डेवेलपर इसका इस्तेमाल कर सकता है।