ऐलन मस्क की अपील के बाद सिग्नल एप के यूजर्स बेस में काफी वृद्धि देखने को मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ भारत में ही पिछले एक सप्ताह में सिग्नल की डाउनलोडिंग में 36 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। बता दें कि सिग्नल एप की चर्चा सबसे ज्यादा इसकी प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर हो रही है। बता दें कि एलन मस्क ने अपने फॉलोअर्स से व्हाट्सएप की जगह सिग्नल एप यूज करने की सलाह दी थी। इसके बाद से इस एप के यूजर्स की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी हुई है।
एप्पल के एप स्टोर पर सिग्नल एप के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, यह एप यूजर्स से मोबाइल नंबर के अलावा कोई भी जानकारी नहीं लेता है। मोबाइल नंबर से भी यह एप यूजर्स की पहचान को उजागर नहीं करने का दावा करता है। हालांकि अगर यूजर इस एप पर किसी अन्य वेबसाइट का इस्तेमाल करता है तो फिर उसी वेबसाइट की शर्तें लागू होंगी। बता दे कि सिग्नल को 13 साल की उम्र वाले भी यूज कर सकते हैं। यह एप आपके फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट को देखता है ताकि आपको बताया जा सके कि आपके कौन से कॉन्टेक्ट्स सिग्नल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सिग्नल एप दावा करता है कि वह यूजर्स का डाटा अपने सर्वर पर सेव नहीं करता। अगर यूजर का फोन खो जाए तो उसकी चैट हिस्ट्री भी खत्म हो जाएगी। इस एप में व्हाट्सएप की तरह बैकअप की कोई सुविधा नहीं है। वहीं डाटा और चैटिंग को लेकर कंपनी का दावा है कि इसमें कॉलिंग और मैसेजिंग पूरी तरह से एंड टू एंड एंक्रिप्टेड है। रिपोर्ट के अनुसार, गूगल प्ले-स्टोर से अभी तक सिग्नल एप को एक करोड़ से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं।
सिग्नल एप का दावा है कि वह अपना डाटा किसी अन्य कंपनी के साथ शेयर नहीं करती। हालांकि कंपनी की प्राइवेसी पॉलिसी में इसका जिक्र नहीं है। वहीं गूगल प्ले-स्टोर एप पर दी गई जानकारी के मुताबिक सिग्नल आपके मैसेज का एक्सेस लेता है। इसमें मैसेज पढ़ने से लेकर मैसेज भेजने और उसे एडिट करना भी शामिल हैं। इसके अलावा कॉलिंग, कैलेंडर, फोन के मॉडल, लोकेशन, फोटो-मीडिया फाइल, कैमरा, माइक्रोफोन, स्टोरेज, वाई-फाई और इंटरनेट कनेक्शन का भी एक्सेस सिग्नल एप लेता है।